बेसिक शिक्षा विभाग में अजब खेल चल रहा है। शिक्षकों के समायोजन में कहीं
स्कूल में बच्चों की नामांकन संख्या को आधार बनाया गया है तो कहीं मिडडे मिल ने
वाले बच्चों की संख्या को आधार बना दिया। जिससे बेसिक शिक्षा विभाग में साफ तौर पर
विभागीय अधिकारियों की मनमानी जाहिर होती है। काउंसलिंग की लिस्ट जारी होने पर
शिक्षकों ने मनमाने मानकों के खिलाफ आवाज बुलंद की। इसके बाद अपर जिलाधिकारी जांच
करने जा पहुंचे। उन्होंने निर्धारित मानकों के विपरीत बनी सूची को दोबारा तैयार
कराने के निर्देश दे दिए हैं।बेसिक शिक्षा परिषद के समायोजित शिक्षकों की सूची
शुक्रवार को जारी कर दी गई। जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय में काउंसलिंग के लिए
पहुंचे शिक्षकों ने विभाग पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि शासन द्वारा
निर्धारित मानको की अनदेखी कर मनमाने ढंग से अधिकारियों ने स्वनिर्धारित मानकों को
समायोजन का आधार लिया। उसी आधार पर शिक्षकों का समायोजन कर दिया है जबकि शासन
द्वारा विद्यालयों की वास्तविक छात्र संख्या के आधार पर समायोजन करने के निर्देश
दिए गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि मिडडे मिल में एक दिन में बच्चों की सर्वाधिक
संख्या के आधार पर समायोजन करना नियम विरुद्ध है। कुछ शिक्षकों ने यह भी बताया कि
नियम के अनुरूप ब्लॉक स्तर पर ही शिक्षकों का समायोजन होना चाहिए जबकि विभाग
द्वारा ब्लॉक से बाहर के विद्यालयों में समायोजित किया गया है। एडीएम ने दिए जांच
के आदेश शिक्षकों के समायोजन में विभागीय खेल की सूचना पर पहुंचे एडीएम देवेंद्र
प्रताप मिश्र ने समायोजन में अपनाए जा रहे दोहरे मानकों की जांच कर दोबारा पिछले
वित्तीय वर्ष में एमडीएम के तहत नामांकित बच्चों के औसत के आधार पर शिक्षकों के
समायोजन करने का निर्देश दिया।
दो ब्लॉकों से क्यों हुई लापरवाही: जांच के दौरान ललौरीखेड़ा और बीसलपुर
ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारियों ने वास्तविक छात्र संख्या न देकर मनमाने तरीके
अपनाए। ललौरीखेड़ा से एक वर्ष में सबसे ज्यादा बच्चे जिस दिन उपस्थित रहे, उसी दिन को
वास्तविक संख्या अंकित कर विभाग को सौंपा गया है। बीसलपुर खंड शिक्षा अधिकारी ने
भी नियमों के विपरीत अक्टूबर में उपस्थित बच्चों को वास्तविक छात्र संख्या मान
लिया।