कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूल खोले जाने के आदेश के एक दिन बाद यूपी सरकार ने इसकी नियमावली भी जारी कर दी है। हर कक्षा में केवल 50 फीसदी विद्यार्थी ही मौजूद रहेंगे। कक्षावार दिन तय किए गए हैं। कक्षा छह के विद्यार्थी सोमवार व गुरुवार, कक्षा सात के विद्यार्थी मंगलवार व शुक्रवार और कक्षा आठ के विद्यार्थी बुधवार व शनिवार को स्कूल जाएंगे। इसी तरह कक्षा एक और पांच के विद्यार्थी सोमवार व गुरुवार को, कक्षा 2 व 4 के मंगलवार व शुक्रवार को और कक्षा 3 के बुधवार व शनिवार को स्कूल जाएंगे। अभिभावकों की लिखित अनुमति के बाद ही छात्र-छात्राओं को स्कूल में पढ़ने की इजाजत होगी। कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 10 फरवरी से और कक्षा एक से पांच तक के स्कूल एक मार्च से खुल जाएंगे।
सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश में साफ किया गया है कि
स्कूल खोले जाने पर विद्यालय प्रबंध समिति व शिक्षक आकस्मिक सुरक्षा के लिए
जिम्मेदार होंगे। जहां विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है, वहां
दो-दो पालियों में कक्षाएं संचालित की जाएंगी। यदि कक्षा का साइज कम है तो
कम्प्यूटर कक्ष, लाइब्रेरी, प्रयोगशाला
आदि का इस्तेमाल कक्षा के तौर पर किया जाएगा।
मिड
डे मील दिया जाएगा, कैंटीन नहीं खुलेगी
सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में मिड डे मील भी दिया जाएगा।
भोजन वितरण से पहले विद्यार्थियों को निर्धारित दूरी का अंतराल रखते हुए साबुन से
हाथ धुलवाया जाएगा। हाथ धुलने के बाद उसे पोछने के बजाय हवा में सुखाने के लिए
प्रेरित किया जाएगा। स्कूल की कैंटीन बंद रहेगी। स्कूल में बाहरी खाद्य सामग्री
बेचने से रोका जाएगा।
अभिभावकों से लिया जाएगा सहमति पत्र
अभिभावकों को सहमति पत्र में लिख कर देना होगा कि
यदि विद्यार्थी अस्वस्थ है तो उसे स्कूल नहीं भेजेंगे। स्कूल इस बात की गारण्टी
नहीं लेता कि भविष्य में कोई विद्यार्थी या अभिभावक इस महामारी से संक्रमित नहीं
होगा। न ही स्कूल आने के बाद विद्यार्थी या उसके घरवालों को कोविड 19 का संक्रमण होने पर जिम्मेदार होगा।
बच्चे को स्कूल भेजना पूरी तरह स्वैच्छिक है।
ये भी निर्देश-
- अधिकतम उपस्थिति के लिए सभी पुरस्कारों को हतोत्साहित किया जाए
- स्कूल असेम्बली कक्षाओं में ही होगी
- किसी भी तरह का आयोजन स्कूल में नहीं होगा
- कोविड 19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाए
- नोटिस बोर्ड पर साफ-सफाई, मॉस्क, सुरक्षा आदि के पोस्टर लगाए जाएं
- जो बच्चे स्कूल न आएं, उनके लिए
अध्ययन की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए
सरकारी
स्कूलों में ज्यादा दिक्कत नहीं
सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों के लगभग 50 फीसदी विद्यार्थी ही स्कूल आते हैं, इसलिए यहां
ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। लेकिन निजी स्कूलों में जहां कक्षा के आकार छोटे हैं और
विद्यार्थी ज्यादा हैं, वहां एक कक्षा का विद्यार्थी हफ्ते
में केवल एक ही दिन स्कूल आ पाएगा क्योंकि हर कक्षा के लिए हफ्ते में दो दिन
निर्धारित किए गए हैं।