परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक सभी विद्यार्थियों
को निश्शुल्क ड्रेस नहीं दे पा रहे हैं। विभाग की ओर से हर विद्यालय को नामांकित
छात्र संख्या में 10 फीसद की कटौती के साथ
बजट दिया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों के सामने सभी बच्चों को ड्रेस दे पाने की
चुनौती खड़ी हो गई है। शिक्षकों ने यह बात शिक्षक संघ के माध्यम से बीएसए तक
पहुंचाई है।
सितंबर 2018 की छात्र
संख्या के आधार पर ड्रेस का पैसा जनपद को मिला है। विभाग से इस छात्र संख्या में 10 फीसद की
कटौती की गई है। एक स्कूल में सितंबर 2018
में छात्र
संख्या 30 थी। 10 फीसद कटौती
के साथ 27 बच्चों के
ड्रेस की प्रथम किश्त भेजी गई। वर्तमान छात्र संख्या 46 हो चुकी है, ऐसे में 19 बच्चों को
ड्रेस देना शिक्षकों के लिए चुनौती है। विभाग की ओर से पुरानी छात्र संख्या को
आधार बनाया गया और अप्रैल महीने से ही नए सत्र में नया नामांकन हो रहा है। हर
स्कूल में कुछ न कुछ नामांकन हो चुका है। कई स्कूलों में नामांकन काफी बेहतर है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा का कहना है हर विद्यालय में
छात्रों नामांकन से कम ड्रेस का पैसा भेजा गया है। ऐसे में कई बच्चे ड्रेस पाने से
वंचित हो जाएंगे। उनके अभिभावकों के सवालों का जवाब भी शिक्षकों के पास नहीं है।
इस बारे में बीएसए से वार्ता की गई है। बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि यू
डायस पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार बजट आया था। बजट कुछ कम होने के कारण कटौती की गई
है, जैसे ही और
बजट आएगा, उसे
स्कूलों को भेज दिया जाएगा। कोई भी बच्चा बिना ड्रेस के नहीं रहेगा।