कैबिनेट
का फैसला: खास
बातें
- निजी विवि की स्थापना के लिए पांच करोड़ की स्थायी विन्यास निधि होगी
- विवि की स्थापना के लिए दी गई भूमि या उसके किसी भाग को बेचा, हस्तांतरित या पट्टा या कोई अन्य इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा
- विवि की स्थापना के लिए गठित मूल्यांकन समिति में छह सदस्य होंगे
- विवि को मानद उपाधि प्रदान करने से पहले राज्य सरकार की मंजूरी होगी
- कुलाधिपति/अध्यक्ष द्वारा कुलपति की नियुक्ति शासी निकाय के परामर्श से की जाएगी
- कार्य परिषद में राज्य सरकार का प्रतिनिधि भी होगा जो संयुक्त सचिव से निचले स्तर का अधिकारी नहीं होगा
- कार्य परिषद विवि का प्रथम परिनियम बनाएगी और उसे अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी, सरकार इसे तीन महीने के अंदर अनुमोदित करेगी
शिक्षा परिषद करेगी निरीक्षण
अध्यादेश, परिनियम, रेगुलेशन्स के
प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए उप्र राज्य उच्च शिक्षा परिषद को
नोडल संस्था नामित किया गया है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और एकल अधिनियम का
अनुपालन सुनिश्चित कराने के मकसद से परिषद साल में कम से कम एक बार विवि का
निरीक्षण करेगी और राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। निजी विवि में राष्ट्र
विरोधी गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। ऐसी गतिविधि के पाये जाने पर इसे
विश्वविद्यालय की स्थापना की शर्तों का उल्लंघन मानते हुए सरकार कार्रवाई कर सकती
है।
प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों को एक छतरी
के नीचे लाकर उनकी स्थापना और संचालन में एकरूपता लाने के लिए राज्य सरकार ने एकल
अधिनियम (अम्ब्रेला एक्ट) बनाया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इसके लिए
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2019 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई। सरकार इस अध्यादेश
का प्रतिस्थानी विधेयक विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पेश करेगी।
इसलिए
पड़ी जरूरत : प्रदेश में अभी 27 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। यह
विश्वविद्यालय अलग-अलग अधिनियमों के तहत स्थापित और संचालित किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालयों के अधिनियमों में अलग-अलग प्रावधान हैं। राज्य सरकार के नीतिगत
निर्णय सभी निजी विश्वविद्यालयों पर लागू करने, उनसे सूचना
और दस्तावेज हासिल करने, उनमें उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से
जुड़े मानकों को लागू करने और उनकी निगरानी के लिए अभी कोई प्रक्रिया तय नहीं है।
लिहाजा सभी निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और संचालन में एकरूपता लाने के लिए
सरकार एकल अधिनियम की स्थापना की खातिर यह अध्यादेश लायी है। पहले से संचालित निजी
विश्वविद्यालयों को एक साल के अंदर परिनियमों को अधिसूचित करने की छूट दी गई है।
सार्वजनिक होगी दाखिले की प्रक्रिया और शुल्क : अध्यादेश के तहत
निजी विश्वविद्यालयों को छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया, प्रवेश का आरंभ व अंतिम तारीख तथा विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित
शुल्क को सार्वजनिक करना होगा। उन्हें न्यूनतम 75 प्रतिशत
शिक्षकों की नियमित नियुक्ति विभिन्न संकायों में करनी होगी।
समान एकेडमिक कैलेंडर : सभी निजी विश्वविद्यालयों में समान रूप से
एक एकेडमिक कैलेंडर लागू होगा ताकि प्रवेश और परीक्षाएं एक समय पर हों। परीक्षा
परिणाम भी एक ही समय पर घोषित हों। मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि आदि
पाठ्यक्रमों का एकेडमिक कैलेंडर नियामक संस्थाओं के अनुसार होगा।
दुर्बल वर्ग के छात्रों के लिए 10 फीसद सीटें :
निजी विश्वविद्यालयों को दुर्बल वर्ग के छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में 10
फीसद सीटों पर 50 प्रतिशत शुल्क के साथ प्रवेश
देना होगा। ऐसे पाठ्यक्रम जिनमें उपलब्ध सीटों का प्रतिशत एक से कम है, वहां ऐसे सभी कोर्स में समेकित रूप से चक्रानुक्रम में दुर्बल वर्ग के
छात्रों को प्रवेश देना होगा।