हाईकोर्ट ने बेसिक
शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के प्रावधानों की व्याख्या करते
हुए कहा कि इंटरमीडिएट के बाद यदि अभ्यर्थी ने दो वर्ष का प्रशिक्षण किसी मान्यता
प्राप्त संस्था से प्राप्त किया है तो वह सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए
पात्र होगा।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ स्नातक के
बाद डिप्लोमा करने वाले ही नहीं, यदि कोई प्रशिक्षण सहायक अध्यापक
बनने के लिए इंटरमीडिएट के बाद देना मान्य है तो ऐसा प्रशिक्षण लेने वाला अभ्यर्थी
अर्ह माना जाएगा। विक्रम सिंह और अन्य की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत
वर्मा ने दिया है।
याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह के मुताबिक याचीगण ने 68500 सहायक अध्यापक पद के लिए आवेदन किया था। उनका चयन हो गया। काउंसलिंग के बाद उनकी नियुक्ति यह कह कर रोक दी गई कि याचीगण ने डिप्लोमा इन एजुकेशन और डिप्लोमा इन एजुकेशन (स्पेशल एजूकेशन) का कोर्स इंटरमीडिएट के बाद किया है।
जबकि बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली के प्रावधान के अनुसार स्नातक की डिग्री के बाद दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ही सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह हैं।
याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह के मुताबिक याचीगण ने 68500 सहायक अध्यापक पद के लिए आवेदन किया था। उनका चयन हो गया। काउंसलिंग के बाद उनकी नियुक्ति यह कह कर रोक दी गई कि याचीगण ने डिप्लोमा इन एजुकेशन और डिप्लोमा इन एजुकेशन (स्पेशल एजूकेशन) का कोर्स इंटरमीडिएट के बाद किया है।
जबकि बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली के प्रावधान के अनुसार स्नातक की डिग्री के बाद दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ही सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह हैं।
अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण का डिप्लोमा एनसीटीई जारी
अधिसूचना के तहत मान्य है। इंटरमीडिएट में 45 प्रतिशत अंक के बाद दो वर्षीय डिप्लोमा यदि
मान्यता प्राप्त संस्था से किया गया है तो वह सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए
मान्य होगा। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी चित्रकूट को
निर्देश दिया है कि याचीगण के मामले में अग्रिम कार्यवाही की जाए।
