Wednesday, April 18, 2018

वाराणसी : सरकारी स्कूल के बच्चे भी बनेंगे ‘स्मार्ट’, ब्लैकबोर्ड नहीं अब प्रोजेक्टर से होगी पढ़ाई


कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर अब वाराणसी के सरकारी विद्यालयों के बच्चे भी स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे। शिक्षक उन्हें ब्लैकबोर्ड पर नहीं बल्कि प्रोजेक्टर पर ए बी सी डी और क ख ग घ पढ़ाती नजर आएंगी। ऑडियो विजुअल क्लास की मदद से बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ाया जाएगा ताकि बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि तो जगे ही, स्कूलों की ओर से उनका आकर्षण भी बना रहे।
बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से जिले के 21 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को स्मार्ट स्कूल बनाने की पहल की गई है। इसमें नाल्को सहयोग कर रहा है।

नाल्को की ओर से इन विद्यालयों को कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, स्पीकर, प्रोजेक्टर स्क्रीन/व्हाइट बोर्ड, इंटरनेट डोंगल, टच बोर्ड सिस्टम समेत टीचिंग मैटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा।

एक विद्यालय पर पांच लाख रुपये का खर्च आएगा। इन 21 विद्यालयों में दस नगर क्षेत्र के तो पांच सांसद ग्राम और छह कस्तूरबा आवासीय बालिका इंटर कॉलेज शामिल हैं।

इन विद्यालयों में चलेंगे स्मार्ट क्लास
सांसद ग्राम : प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गांव ककरहिया के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय, नागेपुर, जयापुर और डोमरी
नगर क्षेत्र : प्राथमिक विद्यालय अर्दली बाजार, नवाबगंज, पिसनहरिया प्रथम, दुर्गाकुंड द्वितीय, मलदहिया, कबीरचौरा, रग्घूबीर, सोनिया, राजघाट व माताप्रसाद
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय शिवपुर, सारनाथ, चोलापुर, पिंडरा, सेवापुरी व आराजीलाइन

अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों की निगरानी करेंगे बीएसए
सरकारी विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों का नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से इस सत्र से नई पहल शुरू की गई है। जिले के 45 प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू की गई है। अंग्रेजी माध्यम के लिहाज से ही प्रधानाध्यापकों व सहायक अध्यापकों की नियुक्ति भी कर दी गई है।

अब इन विद्यालयों में पठन-पाठन की निगरानी स्वयं बेसिक शिक्षा अधिकारी करेंगे। शासन ने इसके निर्देश दे दिए हैं।  पिछले दिनों अपर शिक्षा निदेशक ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जिन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू हुई है, उसका निरीक्षण स्वयं बीएसए समय-समय पर करेंगे।

वहां के पठन-पाठन की शैली और प्रगति पर नजर रखेंगे। जिन अध्यापकों का प्रशिक्षण नहीं हुआ है, उनका प्रशिक्षण 30 अप्रैल तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। शासन ने अंग्रेजी माध्यम में नामांकन कराने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी मांगी है। बता दें कि अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में अब तक साढ़े चार हजार बच्चों को नामांकन हुआ है।