बेसिक शिक्षा के अफसर फर्जी अभिलेखों से विभिन्न भर्तियों में नियुक्ति
पाने वालों की तलाश कर रहे हैं। वहीं,
शिक्षक
भर्ती की पहली लिखित परीक्षा में फेल होकर भी 51
अभ्यर्थी
नियुक्ति पाने में सफल रहे हैं। 10
माह में
उन्हें हटाना छोड़िए,
विभाग
नोटिस भी निर्गत नहीं कर सका है। उच्च स्तरीय जांच समिति और शासनादेश में फेल
अभ्यर्थियों का उल्लेख होने के बावजूद उन पर कार्रवाई को लेकर असमंजस बना है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68,500 सहायक
अध्यापक चयन के लिए 27
मई 2018 को लिखित
परीक्षा हुई थी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से जारी परिणाम में 41,556 अभ्यर्थी
उत्तीर्ण घोषित हुए। रिजल्ट में गड़बड़ी पर शासन ने उच्च स्तरीय जांच कराई। आइएएस
संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में जांच टीम ने अभिलेखों की पड़ताल की तो सामने आया कि 53 ऐसे
अभ्यर्थी हैं, जो कॉपी पर
अनुत्तीर्ण हैं, लेकिन
रिजल्ट में उत्तीर्ण होकर नियुक्ति पा गए हैं। साथ ही 51 ऐसे
अभ्यर्थी सामने आए जो रिजल्ट में फेल,
लेकिन कॉपी
पर उत्तीर्ण थे। वहीं,
उत्तर
पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भी जांच में खामियां सामने आई थीं।
पांच अक्टूबर 2018
को इस
संबंध में शासनादेश जारी हुआ,
उसमें कहा
गया कि पुनमरूल्यांकन में इन प्रकरणों का परीक्षण कराया जाए, तब
कार्रवाई हो। हाई कोर्ट की गाइडलाइन पर दोबारा मूल्यांकन में 4709 अभ्यर्थी
सफल हुए और उन्हें अप्रैल माह में नियुक्ति दी गई, जबकि 22 शिक्षकों को परीक्षा नियामक कार्यालय
ने नोटिस जारी किया है। पुनमरूल्यांकन में 53
अनुत्तीर्ण
में से दो अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो गए। परीक्षा नियामक कार्यालय ने मार्च माह में ही 51 अनुत्तीर्ण
की सूची शासन को भेजी। वहां से अब तक इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है।
इसीलिए फेल अभ्यर्थियों को नोटिस नहीं दी जा सकी है और वह 10 माह से
नौकरी कर रहे हैं।