फर्जी
डिग्री लगाकर प्राथमिक विद्यालयों में 10 साल और
छह साल से नौकरी कर रहे 15 शिक्षकों
को बीएसए ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। मामले की शिकायत पर तीन महीने
से गोपनीय जांच करायी जा रही थी। खण्ड शिक्षाधिकारियों को संबंधित शिक्षकों के
खिलाफ एफआईआर और धन रिकवरी के निर्देश दिये गये हैं। सभी फर्जी डिग्री बीएड व
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की लगायी गयी थी। बीएसए की कार्रवाई से
शिक्षकों में खलबली मच गयी है।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ओपी
त्रिपाठी को तीन महीने पूर्व गोपनीय शिकायत प्राप्त हुई कि शिक्षा क्षेत्र रानीपुर, रतनपुरा, मुहम्मदाबाद, कोपागंज, बड़रांव, फतेहपुर मंडाव और दोहरीघाट में तैनात 15 शिक्षक विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ-साथ सम्पूर्णानंद
संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री लगाकर वर्ष 2010 से 2016 तक के
बीच नौकरी कर रहे हैं। मामले को गम्भीरता से लेते हुए बीएसए ने संबंधित खण्ड
शिक्षाधिकारियों को जांच के लिए लगाया था। इसमें मामला सही उजागर होने पर बीएसए ने
बड़ी कार्रवाई करते हुए सहायक अध्यापक प्रेमचंद पंकज फर्जी डिग्री बीएड 2005, उर्मिला देवी फर्जी बीएड 2005, पष्पा बीएड 2005, हीरालाल बीएड 2005, पुष्पा मौर्या बीएड 2002, सुशील कुमार बीएड 2004, पंकज कुमार पूर्व मध्यमा 1994, उत्तर मध्यमा 1998 एवं शास्त्री परीक्षा 2002, अविनाश बीएड 2003, सुनीता कुमार बीएड 2006, कृष्णकांत यादव बीएड 2002, उर्मिला यादव उत्तर मध्यमा एवं
शास्त्री परीक्षा 2004, राधेश्याम
यादव शास्त्री परीक्षा 2008, उमेश चंद
शास्त्री 2007,
रामजनम शास्त्री 2004 व मनीष कुमार यादव शास्त्री 2006 को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करते
हुए इन शिक्षकों पर एफआईआर और धन की रिकवरी के लिए भी निर्देश दिये हैं। बीएसए ने
बताया कि फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले शिक्षकों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं
जायेगा। मामले को अभी और गम्भीरता से लिया जा रहा है।
