Wednesday, April 15, 2015

सीबीएसई व सीआईएससीई स्कूल खोलने के लिए नहीं बेलने पड़ेंगे पापड़
मंडलायुक्तों से छिनेगा मान्यता के लिए एनओसी देने का अधिकार


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस (सीआईएससीई) से मान्यता लेकर स्कूल खोलने के लिए अब लोगों को एनओसी के लिए मंडलायुक्तों के यहां पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे। मान्यता के जरूरी अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में लंबा वक्त लगने के चलते राज्य सरकार एनओसी देने का अधिकार मंडलायुक्तों से छीनने जा रही है। शासन खुद एनओसी देगा। 2007 से पहले यही व्यवस्था थी। शासन स्तर पर उच्चाधिकारियों की बैठक में इस संबंध में सहमति बन गई है। जल्द ही मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर संशोधित आदेश जारी करने की तैयारी है।
सीबीएसई व सीआईएससीई मान्यता संबंधित राज्यों की एनओसी पर देते हैं। प्रदेश में अभी सीबीएसई व सीआईएससीई पैटर्न पर इंटरमीडिएट तक स्कूल खोलने के लिए स्कूल प्रबंधन को संबंधित मंडल के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) के यहां आवेदन करना होता है। इसके बाद जेडी स्थलीय निरीक्षण के बाद संस्तुति करता है। उसकी सिफारिश के आधार पर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित होने वाली कमेटी की बैठक में एनओसी देने संबंधी प्रस्ताव रखा जाता है। इस कमेटी में जेडी सदस्य सचिव और संबंधित जिले का डीएम व डीआईओएस सदस्य होते हैं। यहां से संस्तुति के बाद स्कूल प्रबंधन मान्यता के लिए आवेदन आगे भेज सकता है।
तय समय में मिल सकेगी एनओसी
इसलिए पुरानी व्यवस्था बहाल करने की पड़ रही जरूरत
आवेदन के बाद भी सालों-साल आवेदन या तो जेडी के यहां लटका रहता है या फिर मंडलायुक्त बैठक के लिए समय नहीं देते हैं। इसके चलते स्कूल संचालक को एनओसी के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। इसलिए राज्य सरकार पुरानी व्यवस्था बहाल करना चाहती है जिससे स्कूल संचालकों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो और उन्हें आसानी से एनओसी मिल सके।
2007 से पहले यह थी व्यवस्था
प्रदेश में वर्ष 2007 के पहले तक सीबीएसई व सीआईएससीई से मान्यता लेने के लिए शासन स्तर से एनओसी दी जाती थी। जेडी की रिपोर्ट के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इसकी सिफारिश करता था। वर्ष 2007 के बाद यह अधिकार मंडलायुक्तों को दे दिया गया।

अमर उजाला ब्यूरो