शिक्षा : क्वांटिटी भरपूर पर क्वालिटी नदारद
अध्यापन और सामान्य शिक्षा के लिए बजट में नहीं है कोई प्रस्ताव
आम बजट में कुछ नए संस्थान जैसे आईआईटी और जम्मू-कश्मीर में आईआईएम की बात की है। साथ ही एक फंड बनाने की बात की है जिससे बच्चे पैसेे के अभाव में पढ़ाई से वंचित ना हों। ये फंड उनके लिए इस्तेमाल होगा। वहीं पांच किलोमीटर के दायरे में सीनियर सेेंकडरी स्कूल खोलने की बात भी कही गई है मगर बजट में कहीं भी शिक्षा की गुणवत्ता का कोई प्रस्ताव नहीं है। क्वालिटी एजुकेशन के लिए अध्यापक शिक्षा यानी टीचर एजुकेशन पर पैसा लगाना होगा। इसका कोई जिक्र नहीं है। प्राथमिक शिक्षा और न ही उच्च शिक्षा में ज्यादा पैसा दिया गया है। इस बजट से साफ जाहिर है कि सरकार के लिए शिक्षा प्राथमिकता ही नहीं है। सरकार अपनी प्राथमिकता में इसे ऊपर नहीं रख रही है। स्कूलों की संख्या बढ़ाने की बात कही है मगर सिर्फ प्राथमिक और मध्यमिक स्कूलों की बात है। उच्च शिक्षा को सिरे से अनदेखा किया गया है। कौशल विकास की बात की गई है तो आवंटन बहुत कम है। इसे कितना मजबूत किया जाएगा और क्या हो पाएगा? इसे लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। सामान्य शिक्षा के लिए तो कोई प्रस्ताव नहीं है और न इस बात की कोशिश की गई कि सामान्य शिक्षा का स्तर ऊंचा हो। शिक्षा सरकार की प्राथमिकता होती तो प्राथमिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाना चाहिए था। आईआईएम और आईआईटी एक विशेष वर्ग के लिए होते हैं। आम लोगों के लिए शिक्षा की क्या सुविधा दी गई है, इसमें स्पष्टता नहीं है। देश में शिक्षा का सुधार करना है तो अच्छे टीचर चाहिए। इसे लेकर कोई अलग से खर्च नहीं किया गया। कुल मिलाकर शिक्षा की दृष्टि से सरकार ने साधारण प्रस्ताव रखे हैं। इससे शिक्षा में उन्नति का उद्देश्य नहीं दिखता।
साभार अमरउजाला