केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पड़े करीब सात हजार पदों पर
भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को शिक्षकों
की भर्ती में आरक्षण से जुड़े अध्यादेश को पारित कर दिया है। इसके तहत शिक्षकों की
भर्ती विभाग की जगह विश्वविद्यालय या कालेजों को ही इकाई मानकर होगी। राष्ट्रपति
की मंजूरी के बाद अब यह कानून का रूप ले लेगा। लोकसभा ने इसे सोमवार को पारित कर
दिया था।
राज्यसभा में बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने
शिक्षकों के आरक्षण से जुड़े केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान अध्यादेश-2019 और इनमें
सामान्य वर्ग के गरीबों को दिए गए दस फीसद आरक्षण को शामिल करने का अध्यादेश पेश
किया। जिस पर करीब तीन घंटे की लंबी चर्चा हुई। इस दौरान पूरे सदन ने एक जुट
अध्यादेश का समर्थन किया। हालांकि इस दौरान विपक्ष ने विश्वविद्यालयों में बैकलाग
के खाली पदों को भरने की मांग की। वहीं पोखरियाल ने कहा कि इस अध्यादेश के पारित
होने से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े सात हजार पदों पर भर्ती की
प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाएगी।
