सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तरह संसाधनों से लैस करने
तथा स्मार्ट एजुकेशन की जिले में शुरुआत कर दी गयी है। सरकारी स्कूल में ब्लैक
बोर्ड की जगह प्रोजेक्टर्स, चॉक की जगह डिवाइस और बच्चों के हाथ में पेन- पेंसिल की जगह रिमोट कंट्रोल
की परिकल्पना कर शिवपुर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में बुधवार
को स्मार्ट क्लास की शुरूआत की गयी। प्रोजेक्टर पर पढ़ाई से गदगद हो गये
छात्र-छात्रा।कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कम्प्यूटर का बटन क्लिक कर जैसे ही स्मार्ट
क्लास का उद्घाटन किया वैसे ही बच्चों को वीडियो के जरिये हृदय की कार्य क्षमता व
उसकी संरचना के बारे में स्क्रीन से जानकारी मिलने लगी। कमिश्नर ने बताया कि पढ़ाई
के इस नये तरीके से बच्चों को वीडियो, पिक्र्चस और ग्राफिक्स
के जरिये जानकारी दी जाती है। प्रोजक्टर पर प्रश्न दिखते ही छात्र रिमोट के माध्यम
से जवाब देंगे और तुरंत सही- गलत का पता चल जाएगा। जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने
कहा कि वीडियो देखकर पढ़ी हुई चीज ज्यादा समय तक याद रहती है। सीडीओ गौरांग राठी
ने बच्चों को स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर पर सप्ताह में एक शिक्षाप्रद फिल्म भी
दिखाने का सुझाव दिया। बता दें कि नालको द्वारा जिले के सरकारी विद्यालयों में
स्मार्ट क्लास के लिए चार करोड़ 20 लाख 75 हजार की धनराशि दी गयी थी। विधायक उत्तरी रवीन्द्र जायसवाल ने धनराशि को
कम बताते हुए विधायक निधि से 25 लाख की धनराशि स्मार्ट क्लास
के लिए देने का भरोसा दिलाया।
प्रोजेक्टर के जरिये पढ़ाई कर गदगद हो गये विद्यार्थी
वीडियो, पिक्र्चस व ग्राफिक्स से होगी पढ़ाई
प्रोजेक्टर के जरिये पढ़ाई कर गदगद हो गये विद्यार्थी
वीडियो, पिक्र्चस व ग्राफिक्स से होगी पढ़ाई