सैदनगर का लालपुर कलां सरकारी स्कूल देखकर लगता है कि यह कोई
भवन नहीं, बल्कि एक्सप्रेस ट्रेन खड़ी है
प्लेटफॉर्म पर।
सैदनगर का
लालपुर कलां सरकारी स्कूल देखकर लगता है कि यह कोई भवन नहीं, बल्कि एक्सप्रेस ट्रेन खड़ी है प्लेटफॉर्म पर। स्कूल भवन के अंदर प्रवेश करते बच्चे ऐसे लगते हैं मानो ट्रेन में सवार हो रहे हैं।
प्रवेशद्वार से लेकर अंदर की साज सज्जा सबको लुभाती है। बरामदे व दीवारों पर की गई
चित्रकारी के अलावा क्लास रूम को भी छात्रों की जरूरत के हिसाब से सजाया और संवारा
गया है।
क्लास रूम में ऐसी व्यवस्था की गई है कि छोटे बच्चों को बिना किताब
के भी पढ़ाया जा सके। अंक व अक्षर दीवारों पर लिखे हैं। इन सबको समन्वय विद्यालय की
प्रधानाध्यापिका शबनम आरा करती हैं। तीन साल पहले शबनम आरा की इस स्कूल में
नियुक्ति हुई तो विद्यालय भवन की हालत अच्छी नहीं थी। उन्होंने स्कूल की इमारत ठीक करने का इरादा किया। वह बताती हैं कि उन्होंने गूगल पर
खूबसूरत सरकारी स्कूलों को सर्च किया। एक स्कूल भवन ट्रेन के लुक में नजर आया। इसी
से उन्हें अच्छा आइडिया मिल गया और अपने स्कूल को ट्रेन का लुक देने की उन्होंने
योजना बनाई और पेंटर बुलाए।
शबनम ने खुद
डिजाइनिंग की। वह पेंसिल से डिजाइन बनाती रहतीं और पेंटर उसमें पेंट करते रहते।
उन्होंने बताया कि सरकार ने स्कूल की रंगाई पुताई के लिए मात्र 10 हजार रुपये दिए थे। हमने अपने पास से 40 हजार और
खर्च कर दिए। ट्रेन के लुक में स्कूल बनने से बच्चे बहुत आकर्षित हो रहे हैं। दो
सप्ताह के अंदर 40 बच्चों ने स्कूल में दाखिला लिया है। इस
समय स्कूल में 162 बच्चे हैं।
स्कूल में होते हैं कार्यक्रम प्राइवेट स्कूलों की तरह इस विद्यालय
में भी प्रार्थना, बालसभा, शैक्षिक गतिविधियां,
खेल, बच्चों का जन्म दिवस, महापुरुषों के जन्म दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
बच्चे ड्रेस के साथ ही परिचय-पत्र लगाकर स्कूल आते हैं। स्कूल में बच्चों का
सामूहिक जन्मदिवस भी मनाया जाता है। इस सब के चलते इस विद्यालय का चयन मॉडल
विद्यालय के लिए हुआ।