नामी कान्वेंट स्कूलों में बच्चों के
प्रवेश के लिए लाइन लगने और सिफारिश की बात तो आपने सुनी होगी लेकिन यहां तो
सरकारी स्कूलों में भीड़ जुट रही है। हम बात कर रहे हैं बेसिक शिक्षा के कुछ प्राइमरी
व जूनियर हाईस्कूलों की। जहां बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए सिफारिश तक कराई जा
रही है।
करनैलगंज के प्राइमरी माडल स्कूल में सोमवार को 50 से अधिक बच्चे अभिभावकों के साथ पहुंचे और प्रवेश कराने की मांग करने लगे। यहां के प्रधानाध्यापक नागेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि स्कूल की क्षमता का हवाला देते हुए कुछ लोगों से दूसरे सरकारी स्कूल में नामांकन की बात कही गई तो सिफारिशें शुरू हो गईं।
इसी तरह प्राइमरी स्कूल धौरहरा का भी है। यहां के प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह कहते हैं कि रोज दस-बीस लोग प्रवेश के लिए आ रहे हैं। स्कूल में कमरे कम है और जगह भी नहीं लेकिन प्रवेश के लिए दबाव बन रहा है। इसी तरह झंझरी, वजीरगंज, नवाबगंज, बेलसर, मनकापुर, इंटियाथोक, रुपईडीह के भी कई स्कूलों में प्रवेश के लिए लोगों में उत्साह है।
बीएसए संतोष देव पांडे कहते हैं कि यह शिक्षकों के प्रयास का नतीजा है। उन्होंने बेहतर कार्य किया है इससे लोग खुद नामांकन के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में सौ से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां बड़े बदलाव आए हैं।
करनैलगंज के प्राइमरी माडल स्कूल में सोमवार को 50 से अधिक बच्चे अभिभावकों के साथ पहुंचे और प्रवेश कराने की मांग करने लगे। यहां के प्रधानाध्यापक नागेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि स्कूल की क्षमता का हवाला देते हुए कुछ लोगों से दूसरे सरकारी स्कूल में नामांकन की बात कही गई तो सिफारिशें शुरू हो गईं।
इसी तरह प्राइमरी स्कूल धौरहरा का भी है। यहां के प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह कहते हैं कि रोज दस-बीस लोग प्रवेश के लिए आ रहे हैं। स्कूल में कमरे कम है और जगह भी नहीं लेकिन प्रवेश के लिए दबाव बन रहा है। इसी तरह झंझरी, वजीरगंज, नवाबगंज, बेलसर, मनकापुर, इंटियाथोक, रुपईडीह के भी कई स्कूलों में प्रवेश के लिए लोगों में उत्साह है।
बीएसए संतोष देव पांडे कहते हैं कि यह शिक्षकों के प्रयास का नतीजा है। उन्होंने बेहतर कार्य किया है इससे लोग खुद नामांकन के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में सौ से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां बड़े बदलाव आए हैं।