हाईस्कूल की रेगुलर परीक्षा नहीं दे सकेंगे 18 साल से अधिक के छात्र
14 साल से
कम और 18 से अधिक आयु के छात्र संस्थागत
(रेगुलर) परीक्षार्थी के रूप में यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में सम्मिलित
नहीं हो सकेंगे। बुधवार को माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति और माध्यमिक शिक्षा
निदेशक अमरनाथ वर्मा की अध्यक्षता में मुख्यालय में हुई बोर्ड की बैठक में न्यूनतम
और अधिकतम आयु निर्धारित करने का निर्णय लिया गया।
साथ ही स्कूलों को ऑनलाइन
मान्यता देने और 10वीं-12वीं में योग शिक्षा को विस्तार देने के प्रस्ताव को भी
मंजूरी दी गई। कोई स्कूल अपनी धारण क्षमता से अधिक छात्र-छात्राओं का पंजीकरण भी नहीं
करा सकेगा। हाईस्कूल में आयु निर्धारण से शिक्षा माफियाओं पर शिकंजा कसने में मदद
मिलेगी।
बड़ी संख्या में निजी स्कूल वाले
30-40 साल तक के अभ्यर्थियों को संस्थागत
छात्र के रूप में हाईस्कूल की परीक्षा दिला देते हैं। तमाम लोग सुरक्षा बलों में
या दूसरी सरकारी नौकरी पाने के लिए उम्र कम करवाने के लिए भी हाईस्कूल की परीक्षा
देते हैं। चूंकि वर्तमान में अधिनियम में उम्र सीमा तय नहीं है इसलिए कानूनी तौर
पर इन्हें रोका नहीं जा सकता।
वैसे न्यूनतम उम्र सीमा लागू
होने से उन मेधावी बच्चों का नुकसान होगा जो कम उम्र में हाईस्कूल की परीक्षा में
शामिल हो जाते हैं। हालांकि व्यक्तिगत (प्राइवेट) परीक्षार्थियों के लिए उम्र सीमा
नहीं है। स्कूलों की मान्यता ऑनलाइन करने से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण किया जा
सकेगा। वहीं स्कूलों को निर्धारित संख्या से अधिक परीक्षार्थियों के रजिस्ट्रेशन के
लिए डीआईओएस से अनुमति लेनी होगी।
योग शिक्षा के अंक हाईस्कूल में
छह और इंटर में पांच अंक से बढ़ाकर 20-20 नंबर किए
जाएंगे। बोर्ड के ये निर्णय शासन को मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे और अनुमति के बाद
बोर्ड के अधिनियम 1921 में
संशोधन किया जाएगा। बैठक में सचिव शैल यादव, अपर सचिव
शिवलाल, कामताराम पाल, विनोद कृष्ण और व प्रमोद कुमार समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे।
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