Saturday, July 25, 2015

इंटरमीडिएट के बाद होगी बीएड, बीटीसी की पढ़ाई

 अब इंटरमीडिएट के बाद से ही बैचलर ऑफ एजूकेशन (बीएड) और बैचलर ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग (बीटीसी) की पढ़ाई की जा सकेगी। अभी ग्रेजुएशन के बाद बीएड और बीटीसी की पढ़ाई का मौका मिलता है।

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) ने बीए और बीएससी के साथ ही टीचर एजूकेशन के इन कोर्सों की पढ़ाई का खाका तैयार कर लिया है।

चार साल वाले इन कोर्सों की पढ़ाई शैक्षिक सत्र 2016-17 से शुरू होगी। एनसीटीई का आदेश 15 जुलाई को कानपुर यूनिवर्सिटी में आया है। अब यूनिवर्सिटी नया एक्ट बनाकर इन कोर्सों की शुरूआत करेगी।

टीचिंग एजूकेशन की गुणवत्ता और उसका दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से एनसीटीई ने बीएड का इंटीग्रेटेड कोर्स लांच किया है। इसके तहत बीए और बीएससी के साथ बीएड की पढ़ाई चार साल में पूरी की जा सकेगी।

यानी पढ़ाई में एक साल का समय बच जाएगा, क्योंकि बीएड की पढ़ाई दो साल की हो गई है। बीए और बीएससी में तीन साल लगते हैं। इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए हर कॉलेज को 100-100 सीटों की मान्यता दी जाएगी। प्रिंसिपल सहित 16 शिक्षक पठन-पाठन का काम देखेंगे। इनमें से दो प्रोफेसर की नियुक्ति जरूरी है। इसी तरह बैचलर ऑफ एलीमेंट्री टीचर एजूकेशन (बीएलएड) का कोर्स भी लांच हुआ है।

कॉलेजों को 50-50 सीटों पर मिलेगी अनुमति

 इस कोर्स में बीए और बीएससी के साथ बीटीसी की पढ़ाई की अनुमति दी गई है। यह कोर्स भी चार साल का है। जो कॉलेज इसकी मान्यता लेंगे, उन्हें 50-50 सीटों पर एडमिशन की अनुमति दी जाएगी। प्रिंसिपल सहित 11 शिक्षकों से पठन-पाठन का काम लिया जाएगा।

इसके अलावा एनसीटीई ने बीएड और एमएड का तीन वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स डिजाइन किया गया है। यह कोर्स ग्रेजुएशन के बाद किया जा सकता है। इंटीग्रेटेड कोर्स की पढ़ाई तीन साल में पूरी होगी। दोनों कोर्स अलग-अलग किए गए तो पांच साल लगेंगे।

एनसीटीई की नार्दन रीजनल कमेटी के डायरेक्टर श्रीकांत चौहान का कहना है कि इंटरमीडिएट के बाद बीएड और बीटीसी का विकल्प पहली बार दिया गया है। जो कोर्स डिजाइन हुआ है, उसे सभी राज्य, केंद्रीय और डीम्ड यूनिवर्सिटियों को भेजा जा चुका है। सबसे कहा गया है कि इंटीग्रेटेड कोर्स की पढ़ाई शैक्षिक सत्र 2016-17 से शुरू कराई जाए। ऐसा हुआ तो टीचिंग एजूकेशन की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार होगा, क्योंकि नए कोर्स में थ्योरी की अपेक्षा प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया गया है।

वहीं, उत्तर प्रदेश स्व वित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि बीएड और बीटीसी के नए कोर्स से टीचिंग एजूकेशन का महत्व बढ़ेगा। एनसीटीई का ब्योरा मिल चुका है। अब यूनिवर्सिटियों को अध्यादेश बनाकर पढ़ाई शुरू करानी है। ये कोर्स रोजगार परक हैं। इनकी पढ़ाई से शैक्षिक व्यवस्था में बड़ा सुधार आएगा।



साभार अमरउजाला