एमडीएम से होगी प्रधानों व एनजीओ की छुट्टी
जल्द मिड
डे मील परियोजना से ग्राम प्रधानों व स्वैच्छिक संस्थाओं की छुंट्टी होने वाली है।
अब सिर्फ एक ही संस्था के जरिए मिड डे मील की व्यवस्था की जाएगी।
जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत दो लाख से अधिक बच्चों के मध्याह्न
भोजन पर केंद्र व प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है परंतु बच्चों को
स्तरीय भोजन नहीं मिल पा रहा है। खराब खाने से बच्चों के बीमार पड़ने की खबरें आए
दिन आती रहती हैं। टास्कफोर्स की निगरानी व कार्रवाई के बावजूद भोजन पकाने से
परोसने तक घपलेबाजी चलती रहती है। इसीलिए शासन ने लखनऊ व कानपुर में देश की बेहतर
साख वाली संस्था अक्षय पात्र के माध्यम से भोजन आपूर्ति का फैसला किया। संस्था को
यहां श्रीरत्न शुक्ल इंटर कालेज में तीन एकड़ भूमि आवंटित की गई है, जहां
जल्द ही भोजन पकाने का प्लांट लग जाएगा।
क्या है वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में प्रधान व स्कूल
प्रधानाध्यापक तथा शहरी क्षेत्र में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से मध्याह्न
भोजन आपूर्ति होती है। गुणवत्ता जांचने के लिए जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के
अफसरों की टास्कफोर्स काम करती है। स्कूलों में भोजन पकाने व खिलाने में शिक्षकों
को भी सहयोग करना पड़ता है। मिले खाद्यान्न को भोजन में बदलने को कनवर्जन चार्ज, रसोइयों
का वेतन आदि का भुगतान शासन करता है।
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बदली व्यवस्था से ये होंगे लाभ
- मानक वाला गरम मिलेगा भोजन
- बचेगा रसोइयों पर हो रहा
खर्च
- स्कूलों का शैक्षिक माहौल
सुधरेगा
- टास्कफोर्स को निगरानी से
छुंट्टी
- काम व कार्रवाई से बचेंगे
शिक्षक
- खत्म होगी दलाली व
घपलेबाजी
- एक ही संस्था की होगी
जवाबदेही
- अच्छे भोजन से बढ़ेगी
उपस्थिति
यह नुकसान भी होंगे
- रसोइयों से छिन सकता है
काम
- बेकार हो जाएंगे स्कूली
किचन
- कबाड़ में जाएंगे लाखों के
बर्तन
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एमडीएम को लेकर कार्रवाई
बीते सत्र में एमडीएम को लेकर 15 ग्राम प्रधानों, 25 शिक्षक-शिक्षिकाओं
व प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई हुई। दो संस्थानों के कनवर्जन चार्ज से कटौती
की गई।
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जिले की तस्वीर
भोजन पकवा रहे प्रधान : 557
काम कर रहे एनजीओ : 05
लाभान्वित स्कूल-कालेज: 2496
भोजन लेने वाले बच्चे : 2,17,962
स्कूली किचन की संख्या : 15,00
प्रति किचन हुआ खर्च : 78,500 रु.
प्रति स्कूल बर्तनों पर खर्च : 5,000
कार्यरत रसोइयों की संख्या : 4380
रसोइयों का मासिक वेतन :1,000 रु.
''अक्षय पात्र के पास ऐसे
हाईटेक संसाधन हैं कि 60 किमी दूरी के स्कूलों में
भी समय से गरम व स्तरीय भोजन पहुंचेगा। इससे पूरी व्यवस्था बदल जाएगी।''- सौरभ
पांडेय, जिला समन्वयक एमडीएम।
साभार दैनिकजागरण