Thursday, July 25, 2019

समायोजन: नियम अस्पष्ट, शिकायत का अवसर नहीं तो कोर्ट सहारा


प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के डेढ़ लाख से अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ऐसे स्कूल बहुतायत में हैं, जहां छात्र संख्या से शिक्षक काफी अधिक हैं तो तमाम ऐसे भी हैं जहां सैकड़ों बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक गिने-चुने ही हैं। शासन ने विद्यालयों में छात्र व शिक्षकों का संतुलन बनाने के लिए समायोजन का आदेश भी दिया है लेकिन, उसका अनुपालन होते ही समायोजन को चुनौती मिल गई है।
अधिकांश जिलों में समायोजन प्रक्रिया तय समय के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिन जिलों ने शिक्षकों को इधर से उधर करने की हिम्मत दिखाई है वहां के बीएसए व अन्य अफसरों से जवाब तलब हुआ है।
राजधानी लखनऊ व उससे सटे बाराबंकी जिले के ही करीब डेढ़ सौ से अधिक शिक्षकों ने समायोजन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उस पर गुरुवार को सुनवाई होनी है।
आदेश में यह है परेशानी : शासन ने समायोजन आदेश 17 जून को जारी किया। उसमें कहा गया कि यह कार्य 15 जुलाई तक पूरा किया जाए। कई जिलों ने परिषद मुख्यालय से लेकर शासन तक से मार्गदर्शन मांगा, क्योंकि आदेश में यह स्पष्ट नहीं है कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या से अधिक शिक्षक हैं, वहां किस शिक्षक (सबसे सीनियर या फिर सबसे जूनियर) को हटाया जाएगा। ऐसे ही स्कूल की वास्तविक छात्र संख्या का आधार कैसे तय किया जाए? इसमें शासन से जवाब मिला कि डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति इसका निपटारा करेगी। लखनऊ व बाराबंकी में डीएम का आदेश अब कसौटी पर है।