पांच वर्ष से सत्यापन रिपोर्ट देने में आनाकानी कर रहा लविवि
लखनऊ मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों के विभिन्न राजकीय इंटर कॉलेज
(जीआइसी) में करीब पांच साल पहले नियुक्त चार दर्जन सहायक अध्यापकों (एलटी ग्रेड)
की मार्कशीट की सत्यापन रिपोर्ट लखनऊ विश्वविद्यालय से तीन-चार बार बाद भी सही
नहीं आई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग को हर बार मिली रिपोर्ट में सत्यापन का प्रारूप
और सत्यापनकर्ता के हस्ताक्षर संदिग्ध मिले।
मामला साल 2013-14
का है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग की ओर से राजकीय इंटर
कॉलेजों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति प्रक्रिया के तहत
शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के सत्यापन के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक, षष्ठ मंडल, माध्यमिक शिक्षा
सुरेंद्र तिवारी की ओर से कई बार लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रचार किया गया, मगर हर बार
आई रिपोर्ट लविवि के निर्धारित सत्यापन फार्मेट से भिन्न नजर आई। इतना ही नहीं, संयुक्त
शिक्षा निदेशक की ओर से पूछे जाने पर लविवि प्रशासन ने भी ऐसी कोई सत्यापन रिपोर्ट
दिए जाने से इन्कार किया है। अभी दो माह पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी
मार्कशीट रैकेट मामले का खुलासा हुआ था। इसमें लविवि के कई कर्मचारियों और
अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। ऐसे में यह मामला भी उसी कड़ी से जुड़ता नजर
आ रहा है।
कई बार डाक द्वारा शिक्षकों की अंकतालिका सत्यापन के लिए भेजी गई। जितनी
बार भी सत्यापन रिपोर्ट आई,
संदिग्ध ही
प्रतीत हुई। दो बार मैं स्वयं इस काम के लिए गया। मगर मुङो भी अंकपत्र सत्यापित
करके नहीं दी गई। निश्चित तौर पर कुछ गड़बड़ है।
-सुरेंद्र
तिवारी, संयुक्त
निदेशक, षष्ठ मंडल, माध्यमिक
शिक्षा विभाग
मामला गंभीर है। लविवि और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को साथ में
बैठकर मामले को देखना होगा। अगर मार्कशीट फर्जी मिलती है तो एफआइआर दर्ज कर
कार्रवाई की जाएगी।
-एसके
शुक्ला, कुलसचिव, लखनऊ
विश्वविद्यालय