सूबे के
निजी माध्यमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों से अब अंशकालिक का ठप्पा हट जाएगा।
अंशकालिक शब्द की जगह अब पूर्णकालिक शब्द होगा।
सूबे के निजी माध्यमिक स्कूलों में
पढ़ा रहे शिक्षकों से अब अंशकालिक का ठप्पा हट जाएगा। अंशकालिक शब्द की जगह अब
पूर्णकालिक शब्द होगा। इसके बाद शिक्षक को निकालना भी आसान नहीं होगा। प्रबंधक को
निकालने का कारण ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को
बताना होगा। भर्ती किए गए शिक्षकों का भी पूरा ब्यौरा देना होगा। इन शिक्षकों का
सेवा अनुभव भी अब जोड़ा जाएगा। स्कूल प्रबंधन और डीआइओएस संयुक्त अनुभव प्रमाणपत्र
जारी करेंगे।
निजी
स्कूलों के शिक्षकों की सेवा नियमावली में कई ऐसे महत्वपूर्ण अधिकार जोड़े गए हैं, जिससे वह मजबूती के साथ नौकरी कर सकेंगे। यही नहीं 15 हजार रुपये वेतन भी स्कूल को देना होगा। प्राइवेट स्कूलों के
शिक्षकों की सेवा नियमावली के लिए माध्यमिक शिक्षा एक्ट में बदलाव किया जा रहा है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि सेवा नियमावली के लिए एक्ट
में संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। संशोधन के बाद इसे लागू किया
जाएगा।
लखनऊ शिक्षक खंड के एमएलसी व माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष उमेश द्विवेदी कहते हैं कि इससे
वित्त विहीन स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। वित्तविहीन
शिक्षकों ने इसके लिए काफी लंबी लड़ाई लड़ी है। डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा की
पहल पर अब यह मजबूत हो सकेंगे।
सरकारी
मानदेय बंद होने के बाद हुआ था आंदोलन
निजी
स्कूलों के शिक्षकों को सपा सरकार ने वर्ष 2016 में दो
किस्तों में एक वर्ष का मानदेय दिया था। उस समय करीब 1.92 लाख शिक्षक पंजीकृत थे। इसमें प्रति माह हाईस्कूल स्तर के
निजी माध्यमिक स्कूल के टीचर को 850 रुपये और
प्रिंसिपल को 900 रुपये और इंटरमीडिएट स्तर के
स्कूल में प्रवक्ता को 1000 रुपये व
प्रिंसिपल को 1150 रुपये दिए गए थे। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया। इसके बाद आंदोलन हुआ
था। अब सेवा नियमावली में स्कूल प्रबंधक को प्रति महीने न्यूनतम 15 हजार रुपये देने के निर्देश दिए गए हैं।