सीबीएसई 10वीं और 12वीं की उत्तर
पुस्तिकाओं की जांच में लापरवाही बरते जाने का मामला सामने आया है। ऐसे शिक्षक
एग्जामिनर बना दिये गये, जो न तो पीजीटी थे और न ही उन्हें
पांच साल तक पढ़ाने का अनुभव था। इस बार कई केंद्रों पर प्राइमरी क्लास में पढ़ाने
वाले ऐसे शिक्षक भी पकड़े गये। पटना के कई चर्चित स्कूलों में ऐसा हुआ है।
कुर्जी स्थित एक स्कूल में कई शिक्षकों को मूल्यांकन के दौरान
पकड़ा गया, जिनके पास सीनियर सेकेंड्री क्लास के फर्जी
आईकार्ड थे। इसकी सूचना भी सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय को दी गयी। जांच में पाया
गया कि जिस स्कूल का आईकार्ड इन शिक्षकों के पास था, वे उस
स्कूल के शिक्षक ही नहीं थे। बता दें कि सीबीएसई ने पटना जोन के ऐसे 45 शिक्षकों की पहचान की है, जिन्होंने मूल्यांकन में
गड़बड़ी की है। इन पर कार्रवाई के लिये स्कूलों को पत्र भेजा गया है।
इसके अलावा पटना क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ऐसे स्कूल में
मूल्यांकन का नोडल सेंटर बनाया गया था, जिस स्कूल को सीबीएसई से संबंद्धता ही नहीं है। इस
स्कूल की 11वीं की संबंद्धता की समयसीमा 2014 में समाप्त हो गयी थी। इसके बाद सीबीएसई ने अभी तक इस स्कूल को जांच के
घेरे मे रखा है। ज्ञात हो कि नोडल सेंटर पर ही उत्तर पुस्तिकाओं को जमा किया जाता
है। उसके बाद हर मूल्यांकन केंद्र पर कॉपी भेजी जाती है।
पटना जोन पिछले कई सालों से रहा
है कटघरे में
पटना जोन में पिछले कई साल से मूल्यांकन के दौरान ऐसे लोग पकड़ में
आते रहे हैं, जो शिक्षक नहीं होते हैं और उन्हें मूल्यांकन में
लगा दिया जाता है। जानीपुर, पटना स्थित एक स्कूल से अजय
कुमार नाम का शख्स पकड़ा गया था, जो टीचर नहीं था। बावजदू
इसके उसे बिजनेस स्टडीज का हेड एग्जामिनर बना दिया गया था। ऐसा ही खगौल स्थित एक
स्कूल में पिछले कई साल से हो रहा है। स्कूल में फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई नहीं
होती और हर साल फिजिकल एजुकेशन का हेड एग्जामिनर इस स्कूल के शिक्षक को बनाया जाता
है। जबकि स्कूल में फिजिकल एजुकेशन के टीचर एक भी नहीं है।
कॉपी जांच में शिक्षकों की योग्यता
- शिक्षक पीजीटी ग्रेड के हों
- एग्जामिनर वही बनेंगे, जिन्हें पांच साल का पढ़ाने का अनुभव हो
- हेड एग्जामिनर वहीं बनेंगे, जिन्हें दस साल पढ़ाने का अनुभव हो
- स्कूल में स्थायी शिक्षक को ही मूल्यांकन कार्य में लगाया जायेगा
- यू-डायस में शामिल शिक्षक ही बनेंगे एग्जामिनर