Sunday, July 22, 2018

देवरिया : जिले में चार और भी हैं ‘इस्लामिया विद्यालय’


सलेमपुर के नवलपुर की तरह ही जिले के चार अन्य परिषदीय विद्यालय मदरसों की तर्ज पर संचालित हो रहे हैं। इनमें तीन विद्यालय रामपुर कारखाना ब्लॉक के हैं जबकि एक देसही देवरिया ब्लॉक में है। यहां दोहरी व्यवस्था लागू है। कागजों में तो विद्यालय सामान्य प्राथमिक विद्यालयों की तरह ही चल रहा है, लेकिन मौके पर इनका नाम, कामकाज, पढ़ाई का तरीका अलग है। स्कूलों की दीवारों पर मोटे अक्षरों में आदर्श इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय अंकित है। उर्दू में भी इन पर यही नाम दर्ज है।
रामपुर कारखाना ब्लॉक के करमहां प्राथमिक विद्यालय में कुल 165 बच्चे अब तक नामांकित हैं। इनमें 90 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। प्रधानाचार्य मो. यासिर अफजल का कहना है कि वे दो साल पहले यहां आए तो शुक्रवार को जुमे पर छुट्टी और रविवार को कार्यदिवस की व्यवस्था लागू थी। लिहाजा उसे ही आगे बढ़ाना पड़ा।
इसी ब्लॉक में ईश्वरी पोखरभिंडा और शामी पट्टी गांव के प्राथमिक विद्यालयों को भी इस्लामिया स्कूल का नाम दिया गया है। विद्यालय के रजिस्टर व अन्य अभिलेख उर्दू में हैं। हालांकि विभागीय रिकॉर्ड में ये परिषदीय प्राथमिक विद्यालय ही दर्ज हैं। इसी नाम से विद्यालय का बैंक अकाउंट भी है। देसही देवरिया ब्लॉक का हरैया प्राथमिक विद्यालय भी मदरसों की तरह ही शुक्रवार को बंद रहता है। यहां विद्यालय के भवन पर ही बाकायदा माध्यम उर्दू दर्ज है। प्रधानाध्यापक मु. जहांगीर आलम सिद्दीकी हैं। विद्यालय में अब तक 90 बच्चों का पंजीयन हुआ है। गांव के ही शिक्षामित्र गुफरान ने बताया कि विद्यालय मुस्लिम बहुल क्षेत्र में है। अधिकांश बच्चे इसी वर्ग के हैं। 10-12 बच्चे अनुसूचित जाति के हैं, मगर वे भी उर्दू पढ़ने को इच्छुक हैं। लिहाजा इसी माध्यम में पढ़ाई हो रही है।

अरसे से चल रहे स्कूल, जिम्मेदार अनजान
बेसिक शिक्षा विभाग के इन परिषदीय विद्यालयों का संचालन कई वर्षों से मदरसों की तर्ज पर हो रहा है। मगर, विभागीय जिम्मेदार इसके प्रति बेपरवाह बने हैं। पूरे प्रदेश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की कवायद के बीच ये स्कूल सरकारी मशीनरी की निष्क्रियता की पोल खोल रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का सवाल है कि हर माह निरीक्षण के नाम पर आने वाले अफसरों की नजर में ये विद्यालय क्यों नहीं आए और अगर आए भी तो पुरानी व्यवस्था में बदलाव क्यों नहीं किया गया।

विद्यालय में चल रही दोहरी व्यवस्था
इस्लामिया स्कूल के नाम पर परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में दोहरी व्यवस्था लागू है। यहां सरकारी रिकॉर्ड में कामकाज सामान्य स्कूलों की तरह ही हिंदी में होता है। बैंक खाता भी परिषदीय विद्यालय के नाम पर है। इसी नाम से मुहर भी है, जबकि विद्यालय के आंतरिक रिकॉर्ड में सब कुछ उर्दू में है। मिड-डे मील की सूचना भी शुक्रवार को नहीं भेजी जाती। सूत्रों की मानें प्रधानाचार्य भले ही इन विद्यालयों को रविवार को खोलने की बात कह रहे हों, जबकि असल में इस दिन भी अवकाश ही मनाते हैं। सिर्फ रजिस्टर में एमडीएम का ब्योरा भरा जाता है।

सलेमपुर के नवलपुर प्राथमिक विद्यालय का मामला संज्ञान में आने के बाद ऐसे विद्यालयों की जांच कराई जा रही है। जहां भी परिषदीय विद्यालयों को इस्लामिया स्कूल के रूप में संचालित किया जा रहा है, वहां के प्रधानाचार्यों से जवाब मांगा जाएगा। यह व्यवस्था कब से और क्यों है, इसकी भी जांच की जाएगी। नियमों की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई होगी। - संतोष कुमार देव पांडेय, बीएसए

नवलपुर के प्रधानाध्यापक को मिला नोटिस, बदलेगी परंपरा

सलेमपुर। ब्लॉक के नवलपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय दशकों से इस्लामिया स्कूल में तब्दील है। मुस्लिम बहुल इलाके में होने के कारण अल्पसंख्यक बच्चों को उर्दू और फारसी में शिक्षा दी जाती रही है। अब महकमा इस व्यवस्था को बदलने में जुटा है। करीब दो दशक तक सलेमपुर के बीईओ रहे हरेंद्र मिश्र का कहना है कि नवलपुर, देवरिया उर्फ शामपुर, निजामाबाद गांव मुस्लिम बहुल हैं। मेरी तैनाती से पहले से ही यहां बच्चों को उर्दू व फारसी में शिक्षा दी जाती रही है। इन विद्यालयों में केवल अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे ही पढ़ते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शुक्रवार को विद्यालय बंद रहता है और रविवार को खुला रहता है। अब इस परंपरा को बदला जाएगा। मौजूदा बीईओ ज्ञानचंद मिश्र ने बताया कि अगर प्रधानाध्यापक बेसिक शिक्षा परिषद की नियमावली के अनुसार काम नहीं करते तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वहीं, शनिवार को विद्यालय खुला रहा। प्रधानाध्यापक खुर्शीद अहमद ने बताया कि शनिवार को विभागीय नोटिस मिला है। मैं पहले से चली आ रही परंपरा का पालन कर रहा हूं। अब विभाग से जैसा आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।