शिक्षा की नींव
यह मानने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है कि शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश ने लगातार प्रयास करते हुए एक मुकाम हासिल करने की ओर कदम बढ़ाए हैं। कुछ प्रदेश और कुछ केंद्र सरकार की पहल के कारण शिक्षण संस्थानों की कोई कमी नहीं है। मुख्यमंत्री ने हाल में एक जनसभा में भी यह कहा है कि जहां जरूरत होगी वहां और शिक्षण संस्थान खोले जा सकते हैं। प्रदेश में कुछ केंद्रीय संस्थानों का होना यहां के युवाओं के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा अर्जित करने का अवसर दे रहा है। मंडी में आइआइटी के साथ कांगड़ा में केंद्रीय विश्वविद्यालय के होने से उच्च शिक्षा में भी अच्छे संस्थान बेहतर विकल्प बन कर उभरे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश धनराशि और गुणवत्ता दोनों की अपेक्षा कर रहा है जो स्वागतयोग्य है। लेकिन एक अच्छा भवन नियोजित करने वाले वास्तुकार को यह भी अहसास होना ही चाहिए कि भवन की नींव कैसी है। उसे मजबूत होना होगा। नींव के संदर्भ में यह आधिकारिक जानकारी कुछ कहती है कि प्रदेश के 216 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें पांच से कम शिक्षक हैं। यह जानकारी नहीं है कि इन विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति क्या है लेकिन ताज्जुब यह होता है कि प्राथमिक शिक्षा की नींव पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए उतना क्यों नहीं दिया जा रहा होगा। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, किसी भी निजी प्राथमिक विद्यालय की छात्र संख्या सरकारी प्राथमिक विद्यालय की छात्र संख्या से अधिक ही होती है। और यह असमानता नया रहस्योद्घाटन नहीं है। बीते कई वर्षो से ऐसा ही हो रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें अध्यापक संख्या से लेकर आधारभूत ढांचे और अंतत: कार्यसंस्कृति का अभाव भी हो सकता है। सच यह है कि नन्हे पौधों का ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है ताकि वे अच्छे पेड़ बन सकें। प्राथमिक विद्यालय ही क्यों, उच्च विद्यालयों तक में जो कार्यसंस्कृति अपेक्षित है वह आसानी से कहां मिलती है। केवल कार्यसंस्कृति का ही संदर्भ लें तो कुछ अध्यापक पूरी तन्मयता से अपना शिक्षक होना अपने आचरण से भी साबित कर रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो तब अनुपस्थित पाए जाते हैं जब उपनिदेशक दौरे पर होते हैं। ऐसा मंडी और कांगड़ा में देखने में लगातार आया है। बहरहाल, प्राथमिक स्तर से गुणवत्ता के लिए और संवेदनशील होने की आवश्यकता है। मजबूत नींव पर पसंदीदा भवन बन सकते हैं।
[साभार :- दैनिकजागरण स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश]