Wednesday, February 19, 2014

कस्तूरबा स्कूलों के प्रति अफसर हैं लापरवाह


लखनऊ। गरीब लड़कियों को मुफ्त पढ़ाई के साथ रहने और खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए कस्तूरबा बालिका विद्यालय शुरू किए गए हैं, लेकिन अधिकारी हैं कि लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश के 14 जिलों में बजट का आधे से भी कम पैसा खर्च किया गया। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक हरेंद्र वीर सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिलों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए हैं। इनमें गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों को कक्षा 6 से 8 तक मुफ्त शिक्षा देने के साथ रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत बजट उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन अधिकारी इन स्कूलों के संचालन पर ध्यान नहीं दे रहे। राज्य परियोजना निदेशालय में हुई बैठक में समीक्षा के दौरान बस्ती, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, फतेहपुर, बिजनौर, हापुड़, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, शामली, इलाहाबाद, मेरठ, सहारनपुर, महराजगंज और हमीरपुर में आवर्तक मद में खर्च 50 प्रतिशत से भी कम है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी मिलीं खामियां
इसी तरह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अंबेडकर नगर, बस्ती, चंदौली, जालौन व लखीमपुर खीरी में कई खामियां मिली हैं। मसलन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के भवन पूर्ण नहीं किए गए हैं। विद्यालयों में लड़कियों की औसत उपस्थिति कम है। इनके लिए व्यावसायिक व तकनीकी कौशलों के विकास के कार्यक्रम संचालित नहीं किए जा रहे हैं। सफाई की स्थिति भी खराब है। शिक्षकों का समायोजन भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। हरदोई व बदायूं में क्षमता के अनुसार लड़कियों के नाम नहीं लिखे गए हैं। विशिष्ट आवश्यकता वाली लड़कियों के प्रवेश पर भी ध्यान नहीं दिया गया। परियोजना निदेशक ने संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि खामियों को तत्काल दूर करते हुए इसकी सूचना निदेशालय को दी जाए।

साभार - अमर उजाला