शिक्षा मित्रों के भविष्य पर कल हो सकता है निर्णय
लखनऊ (ब्यूरो)। शिक्षा मित्रों को शिक्षा सहायक बनाया जाए या फिर सहायक अध्यापक अब इस पर फैसला कैबिनेट की बैठक में होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए दो प्रस्तावों का प्रारूप तैयार करते हुए भेजा है। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना है। शिक्षा मित्रों को यदि सहायक अध्यापक बनाया जाएगा तो उन्हें पांच साल के अंदर टीईटी पास करने की छूट होगी।
राज्य सरकार 1.70 शिक्षा मित्रों का समायोजन करना चाहती है। इसका फैसला कैबिनेट की 28 जनवरी को हुई बैठक में हो चुका है। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 के नियम 19 में दी गई व्यवस्था के आधार पर शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए अलग से नियमावली बनाने पर फैसला किया था। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके आधार पर शिक्षा मित्रों को शिक्षा सहायक पद पर समायोजन का प्रस्ताव तैयार किया। विभागीय जानकारों की मानें तो शिक्षा मित्रों के समायोजन व शिक्षक के बराबर वेतनमान देने पर करीब 1400 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के शिक्षकों के वेतन पर आने वाले व्यय का 65 फीसदी केंद्र व 35 फीसदी राज्य सरकार उठाती है। इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था में दिक्कत आ रही है। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने दो प्रस्ताव तैयार किए हैं। पहला शिक्षा मित्रों को शिक्षा सहायक के पद पर समायोजित कर दिया जाए और अलग से वेतनमान तय कर दिया जाए। दूसरा उ.प्र बेसिक शिक्षा अध्यापक भर्ती नियमावली में संशोधित करते हुए शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का प्रावधान कर दिया जाए और उन्हें पांच साल के अंदर टीईटी पास करने की छूट दे दी जाए। शिक्षा मित्रों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा तभी दी जाए जब वे टीईटी पास कर लें। बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर अब अंतिम निर्णय कैबिनेट को करना है।