'प्राथमिक स्तर पर ही दें विज्ञानपरक शिक्षा'
इलाहाबाद
: फ्रांसीसी नागरिक और अल्जीरिया में 1933 में जन्मे नोबल
वैज्ञानिक प्रो. क्लाउड कोहन तनाउडजी का मानना है कि भारत के पास किसी भी क्षेत्र
में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यदि भारत में प्राथमिक स्तर पर ही छात्रों को
खेल-खेल में विज्ञानपरक शिक्षा दी जाए तो विज्ञान के क्षेत्र में बच्चों की और
अधिक रुचि होगी। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भारत में कम शोधार्थियों के आने
की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत के मेधावी छात्रों में हर साल नोबल पुरस्कार
प्राप्त करने की क्षमता है। बस जरूरत है कि बच्चों को विज्ञान की ललक जगाने को लिए
प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें अधिक सुविधाएं दी जाएं।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) में चल रहे विज्ञान
समागम में भाग लेने आए नोबल वैज्ञानिक ने कहा कि भारत में सेलिब्रेटी, नेताओं को ज्यादा महत्व दिया जाता है। वैज्ञानिक कहीं न कहीं उपेक्षित
रहते हैं।
भारत में कई दशकों से विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार न मिलने
के पीछे कारण पूछने पर प्रो. क्लाउड कोहन ने कहा कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में
तभी और अच्छा कर सकता है जब शिक्षकों के ऊपर और अधिक निवेश किया जाए। यदि शिक्षक
योग्य और ज्यादा अनुभवी होगा तो छात्र भी उसी अनुरूप अधिक सीखेगा। स्कूली स्तर पर
ही बच्चों को विज्ञान के मॉडल बनाने और वैज्ञानिक खिलौने बनाने और सिर्फ अंक पाने
पर अधिक जोर न देकर उन्हें मौलिक रूप से सोचने का माहौल प्रदान करना होगा। भारत
में शिक्षकों और अभिभावकों का सारा जोर बच्चे के अधिक से अधिक अंक हासिल करने पर
रहता है। यह धारणा गलत है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते
हुए कहा कि जबतक हम प्राथमिक स्तर और स्कूली स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता नहीं
सुधारेंगे तबतक भारत में शिक्षण व्यवस्था अच्छी नहीं हो सकती।
बेशक भारत में आइआइटी, आइएसइआर, आइआइएम जैसे संस्थान तो खोल दिए गए जहां सुविधाएं तो विश्वस्तरीय हैं पर
उनमें मानवसंसाधन व इंफ्रास्ट्रक्चर खराब है, विश्वस्तरीय
शिक्षकों की कमी है। जनसंख्या अधिक है, जिससे योजनाएं असफल
हैं।