ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर
स्वादिष्ट खाना बनाने वाले स्कूल होंगे पुरस्कृत
स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले दोपहर के खाने (मिड-डे
मील) की गुणवत्ता पर लगातार उठते सवालों के बीच सरकार ने इसे बेहतर और स्वादिष्ट
बनाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत स्कूलों के बीच अब खाने की
गुणवत्ता को लेकर सलाना एक प्रतिस्पर्धा होगी। जो ब्लाक स्तर से शुरू होकर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक की होगी। इनमें स्कूलों में खाना
बनाने वाले रसोइये और उनके सहयोगी हिस्सा लेंगे। फिलहाल इस साल इसकी शुरुआत जुलाई
से होगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय के
मुताबिक यह पूरी कवायद स्कूलों में बेहतर और स्वादिष्ट खाना बनाने को लेकर एक
माहौल विकसित करने को लेकर है। इस योजना के तहत बेहतर खाना बनाने वाले स्कूलों को
पुरस्कृत भी किया जाएगा। मिड-डे मील योजना के तहत देश भर के पहली से आठवीं तक के
सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर का खाना
दिया जाता है। सरकार ने यह कदम ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के
लिए उठाया था। पिछले कुछ सालों में इसके अच्छे नतीजे भी देखने को मिले। यही वजह है
कि सरकार अपनी इस स्कीम को अब बारहवीं तक पढ़ने बच्चों के लिए विस्तार देने की
तैयारी में है।
जज होंगे बच्चे और पोषण विशेषज्ञ:
स्कूलों के बीच दोपहर के भोजन की गुणवत्ता को परखने के लिए होने वाली प्रतिस्पर्धा
के जज स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और पोषण विशेषज्ञ होंगे। मंत्रलय की योजना के
मुताबिक इनमें दो बच्चे होंगे। एक प्राइमरी स्तर का और एक अपर प्राइमरी स्तर का।
मिड-डे मील
की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों के बीच एक प्रतिस्पर्धा कराने की योजना
बनाई गई है। जिस पर इसी साल से अमल होगा। इसका मकसद बच्चों को बेहतर और स्वादिष्ट
खाना उपलब्ध कराना है।
आर.सी.
मीना, संयुक्त सचिव, स्कूली शिक्षा