सूबे के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों का अजब-गजब हाल है। यहां
जूनियर शिक्षक प्रमोशन पाकर सीनियर शिक्षकों के बॉस यानी प्रधानाध्यापक बन गए।
एलटी संवर्ग में भर्ती हुए शिक्षकों को 27 साल बाद भी
पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा व प्रसार विभाग आदि दूसरे विभागों से आए
जूनियर शिक्षक जो उस समय नि:संवर्गीय (किसी संवर्ग के नहीं) थे, उन्हें समायोजित करते समय नियुक्ति की मूल तारीख से ही मौलिक
नियुक्ति मानते हुए लाभ दे दिया गया। ऐसे करीब एक हजार शिक्षक अभी तक दो प्रोन्नति
पा चुके हैं और प्रधानाध्यापक बनकर अपने से सीनियर शिक्षकों के बॉस बन चुके हैं।
राजकीय शिक्षक संघ की ओर से डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा से इस विसंगति को दूर
करने की मांग की गई है।
वर्ष 1991-92 में
हाईस्कूल स्तर के राजकीय विद्यालयों में एलटी संवर्ग के शिक्षकों की नियुक्ति
माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित विभागीय कमेटी के जरिये की गई। पहले
लोक सेवा आयोग से भर्ती होती थी। इन शिक्षकों को एलटी संवर्ग का वेतनमान, चयन व प्रोन्नत वेतनमान जैसी सभी सुविधाएं दी गईं मगर तदर्थ
माना और 17 अगस्त 2001 को विनियमित मानते हुए वरिष्ठता सूची में शामिल किया। दूसरे विभाग
यानी प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक
शिक्षा व प्रसार विभाग आदि शामिल हैं इनके शिक्षक भी नि:संवर्गीय थे लेकिन, मा. शिक्षा विभाग में नियुक्त होने पर वह एलटी संवर्ग के
शिक्षक हो गए। समायोजन की तारीख से ही मौलिक नियुक्ति माने जाने उसके बाद दो
पदोन्नति मिलने से वह प्रधानाध्यापक हो गए। अब मा. शिक्षा विभाग के राजकीय
हाईस्कूलों में कार्यरत सीनियर शिक्षक इनसे पिछड़ गए। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश
अध्यक्ष पारस नाथ पांडेय कहते हैं कि करीब 27 साल बाद
वरिष्ठता सूची जारी भी की गई तो उसमें मूल विभाग के शिक्षक दूसरे विभाग से आए
शिक्षकों से पिछड़ गए।
राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेज के एलटी संवर्ग के शिक्षकों को
वरिष्ठता का नहीं मिल पाया लाभ