मानव संसाधन
मंत्रालय के विशेषज्ञों की कमेटी ने सेमेस्टर सिस्टम की तर्ज पर बोर्ड परीक्षाएं
भी साल में दो बार आयोजित करने की सिफारिश की है। इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. के.
कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने शुक्रवार शाम को नए मानव संसाधन विकास
मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट सौंप दिया।
ड्राफ्ट में कहा गया कि 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में बच्चों में तनाव कम करना चाहिए। छात्रों को बोर्ड परीक्षा में विषयों को दोहराने की अनुमति देने के लिए एक नीति बनाने को कहा गया है। इसके तहत छात्र को जिस सेमेस्टर में लगता है कि वह परीक्षा देने के लिए तैयार है, उस समय उसकी परीक्षा ली जानी चाहिए। बाद में अगर उसे लगता है कि वह और बेहतर कर सकता है तो उसे परीक्षा देने का एक और विकल्प देना चाहिए। साथ ही कंप्यूटर व तकनीक के जमाने में कंप्यूटर आधारित परीक्षा और पाठ्यक्रम कौशल विकास पर आधारित हो।
कमेटी ने अंग्रेजी के साथ भारतीय भाषाओं व संस्कृत या लिबरल आर्ट्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इसके अलावा नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई कराने और 1 से 18 वर्ष आयु तक के बच्चों को मुफ्त गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने को कहा है। शिक्षा के अधिकार को पहली कक्षा की बजाय नर्सरी और आठवीं की बजाय 12वीं तक का विस्तार करने का सुझाव दिया गया है। मौजूदा स्कूल पाठ्यक्रम और पुस्तकों में गणित, खगोल विज्ञान, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, योग, वास्तुकला, चिकित्सा के साथ साथ राजनीति, शासन, समाज और भारतीय ज्ञान प्रणाली में योगदान देने वाले भारतीयों के विषयों को शामिल किया जाना चाहिए।
कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा आयोग गठित करने का भी सुझाव दिया। इसके जरिये देश में शिक्षा के दृष्टिकोण को विकसित, कार्यान्वित, मूल्यांकन और संशोधित किया जा सके। पैनल ने जोर दिया कि शिक्षा और सिखाने के तरीके पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया जाना चाहिए।
निजी स्कूलों को हो फीस तय करने की स्वतंत्रता
मसौदे के
मुताबिक, निजी स्कूलों को अपना फीस ढांचा तय करने की स्वतंत्रता हो, लेकिन मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की मनाही होनी चाहिए।
स्कूल डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के नाम पर इसमें बढ़ोतरी जायज नहीं ठहराई
जा सकती। उचित स्थिति में फीस बढ़ोतरी स्वीकार्य है। इसके लिए महंगाई दर और दूसरे
अहम फैक्टर देखकर तय करना होगा कि कितने प्रतिशत तक फीस बढ़ाई जाए। हर तीन साल में
राज्यों की स्कूल नियामक प्राधिकरण इसकी समीक्षा करेगा
तीन और चार साल की डिग्री की सिफारिश
पैनल ने स्नातक प्रोग्राम में तीन और चार वर्षीय डिग्री का सुझाव दिया है। चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई करने के बाद छात्र एक साल में सीधे मास्टर डिग्री कर सकता है। एमफिल प्रोग्राम को खत्म करने की सिफारिश की गई है। लिबरल एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के तहत बैचलर ऑफ लिबरल आर्ट्स, बैचलर ऑफ लिबरल एजुकेशन डिग्री विद रिसर्च शुरू करने का सुझाव दिया है।
1986 में बनी थी मौजूदा शिक्षा नीति
मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में बनाई थी और 1992 में इसे संशोधन किया गया था। नई शिक्षा नीति भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा थी। मंत्रालय के विशेषज्ञ पैनल में कस्तूरीरंगन के अलावा गणितज्ञ मंजुल भार्गव के साथ ही आठ सदस्य हैं। विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस सुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाले पैनल और मंत्रालय द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जब इसकी अध्यक्षता स्मृति ईरानी कर रही थीं।
तीन और चार साल की डिग्री की सिफारिश
पैनल ने स्नातक प्रोग्राम में तीन और चार वर्षीय डिग्री का सुझाव दिया है। चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में पढ़ाई करने के बाद छात्र एक साल में सीधे मास्टर डिग्री कर सकता है। एमफिल प्रोग्राम को खत्म करने की सिफारिश की गई है। लिबरल एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के तहत बैचलर ऑफ लिबरल आर्ट्स, बैचलर ऑफ लिबरल एजुकेशन डिग्री विद रिसर्च शुरू करने का सुझाव दिया है।
1986 में बनी थी मौजूदा शिक्षा नीति
मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में बनाई थी और 1992 में इसे संशोधन किया गया था। नई शिक्षा नीति भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा थी। मंत्रालय के विशेषज्ञ पैनल में कस्तूरीरंगन के अलावा गणितज्ञ मंजुल भार्गव के साथ ही आठ सदस्य हैं। विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस सुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाले पैनल और मंत्रालय द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जब इसकी अध्यक्षता स्मृति ईरानी कर रही थीं।
अहम सुझाव
- विश्व के शीर्ष 200 संस्थानों
के कैंपस भारत में खोले जाएं। नालंदा, तक्षशिला
की तर्ज पर भारतीय प्राचीन विश्वविद्यालयों को आगे बढ़ाया जाए।
- मल्टीडिस्पलिनेरी यूनिवर्सिटी व कॉलेज खोले जाएं, जो एक साथ कई विषयों की पढ़ाई करवाते हों। साहित्य, भाषा, खेल, योग, आयुर्वेद, प्राचीन, मध्यकालीन इतिहास और संगीत पर फोकस किया जाना चाहिए।
- यूजीसी को भंग कर हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) एक्ट-2018 बनाया जाए।
-नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से सभी प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाएं। कंप्यूटर आधारित परीक्षा पर जोर दिया जाए।
- नेशनल स्कॉलरशिप फंड ईजाद हो, ताकि छात्रों को शिक्षा में आगे बढ़ने का मौका मिले। इसके अलावा गरीब छात्रों को फीस माफी मिले।
- मल्टीडिस्पलिनेरी यूनिवर्सिटी व कॉलेज खोले जाएं, जो एक साथ कई विषयों की पढ़ाई करवाते हों। साहित्य, भाषा, खेल, योग, आयुर्वेद, प्राचीन, मध्यकालीन इतिहास और संगीत पर फोकस किया जाना चाहिए।
- यूजीसी को भंग कर हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) एक्ट-2018 बनाया जाए।
-नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से सभी प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाएं। कंप्यूटर आधारित परीक्षा पर जोर दिया जाए।
- नेशनल स्कॉलरशिप फंड ईजाद हो, ताकि छात्रों को शिक्षा में आगे बढ़ने का मौका मिले। इसके अलावा गरीब छात्रों को फीस माफी मिले।