स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुके हैं। निजी स्कूलों पर मनमाने ढंग से फीस वसूली के आरोप लगने लगे हैं। फिर भी अभिभावाक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने से कतराते हैं। आखिर क्यों? ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अच्छे नहीं होते। वे बीएड या बीटीएस योग्यता वाले ही होते हैं। इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों में अब कई अन्य सुविधाएं भी मिलने लगी हैं। फिर भी अगर बच्चों को घर-घर जाकर बुलाने जैसी हालत है, तो इसमें कुछ हद तक दोष हमारी मानसिकता का भी है। हम सरकारी स्कूलों को अच्छा मानने के लिए तैयार ही नहीं होते। अगर अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में आएंगे, तो निजी स्कूलों की मनमानी खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी
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उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा विभाग के 27 अधिकारियों के तबादले कर दिए। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की मंजूरी के बाद...
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उ॰प्र॰सरकार ने मदरसों के लिए छुट्टियों का नया कैलेंडर जारी किया है. सरकार के इस कैलेंडर में मदरसों की कुछ पारंपरिक छुट्टियों की भी कटौती की...
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संविलियन का मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण मथुरा के बाद अब बुलन्दशहर में भी संविलयन प्रक्रिया पर लगी रोक
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परिषदीय स्कूलों में वितरित किए जा रहे यूनिफॉर्म की गुणवत्ता खराब होने की बात अधिकारियों तक पहुंच गई है। जूते - मोजे की आपूर्ति तो शासन स्...
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परिषदीय स्कूलों में उर्दू की हो व्यवस्था वाराणसी (एसएनबी)। उर्दू टीर्चस एंड ट्रेनीज़ वेलफेयर एसोसिएशन वाराणसी जिले की एक बैठक मो.ज़...
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सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने की दिशा में सरकारें पहल कर रही हैं। इसी कड़ी बने नियम के तहत अब करीब सात हजार प्राथमिक व ...