सर्व
शिक्षा अभियान की रिपोर्ट
यूपी
के बच्चे ठीक से किताब भी नहीं पढ़ पाते
गणित में शहरी
बच्चों से ज्यादा होशियार हैं गांव के बच्चे
गणित के सवाल
भले ही बच्चों को डराते हों पर सूबे के सरकारी स्कूलों के कक्षा एक से तीन तक के
बच्चों पर यह बात सही नहीं बैठती। यही नहीं शहरी के मुकाबले गांव के स्कूलों के
बच्चे गणित में कहीं ज्यादा होशियार हैं। चौंकिए नहीं, सर्व शिक्षा
अभियान की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि यूपी के बच्चे अन्य राज्यों की तुलना में
बेहतर हैं। हालांकि रिपोर्ट की दूसरी चौंकाने वाली बात है कि यूपी के इन्हीं
स्कूलों के बच्चे अपनी किताब ठीक से नहीं पढ़ पाते। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई का स्तर जांचने के लिए सर्वे किया
गया था।
मैथ्स में तो
हमारे बच्चे आगे : सर्वे में मैथ्स में बच्चों को मिले अंकों का राष्ट्रीय औसत
जहां 252 रहा वहीं यूपी के बच्चों का यह औसत 257 रहा। यूपी के ग्रामीण स्कूलों के
बच्चों का यह औसत 258 रहा जबकि शहरी बच्चों का औसत अंक 254 रहा। यानी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे
गणित में शहरी बच्चों के मुकाबले बेहतर हैं।
पर किताब पढ़ने
में कमजोर क्यों? : यह सवाल हैरान करता है। सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि जहां बुक रीडिंग में
राष्ट्रीय औसत 257 रहा वहीं यूपी के बच्चों का औसत 252 अंक रहा।
दूसरी
सबसे बड़ी बात जो चौंकाती है यूपी के ग्रामीण स्कूलों के जो बच्चे शहरी के मुकाबले
गणित में बेहतर परफॉर्म करते हैं वे अपनी किताब पढ़ पाने में शहरी बच्चों से कमजोर
हैं। यूपी के शहरी बच्चों ने बुक रीडिंग में जहां औसत 261 अंक स्कोर किए वहीं ग्रामीण बच्चों का यह औसत 251 अंक ही रहा।
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रीडिंग क्षमता
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गणित
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राष्ट्रीय औसत
|
यूपी
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राष्ट्रीय औसत
|
यूपी
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कुल
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257
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252
|
252
|
257
|
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बालक
|
256
|
255
|
253
|
259
|
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बालिका
|
258
|
249
|
252
|
256
|
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नोट-
मापन कक्षा तीन तक के बच्चों का
प्रदेश
के बच्चे गणित में हमेशा से अच्छे रहे हैं। इसलिए सर्वे पर ज्यादा ताज्जुब नहीं होना चाहिए। लेकिन बुक
रीडिंग में कमजोर होना चिंता का विषय है। संभव है कि ऐसा बच्चों में आत्मविश्वास
की कमी के कारण हुआ हो। बहरहाल हम इस और ज्यादा देंगे ताकि बच्चों का स्तर और
बेहतर बनाया जा सके। -
प्रवीणमणि
त्रिपाठी,
जिला
बेसिक शिक्षा अधिकारी
साभार अमरउजाला