शैक्षिक गुणवत्ता को ‘सम्मान’ व ‘ प्रोत्साहन’ बनेगा सहारा
महेन्द्र
सिंह इलाहाबाद। परिषदीय विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता को पटरी पर लाने को बेसिक
शिक्षा महकमा नया फंडा अपनाने जा रहा है। विद्यालय न जाने वाले और पढ़ाने में रुचि
न रखने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई का चाबुक चलाने के बजाय ऐसे शिक्षकों को चिन्हित
करेगा जो पूरे अन्तर्मन से छात्रों के बीच ज्ञान का दीपक जला रहे हैं। उन्हें
सम्मानित किया जायेगा। इस कार्ययोजना में सब कुछ ठीक रहा तो नये शैक्षणिक सत्र 2014-15 से ही प्रभावी बना दिया जायेगा। लाख
कवायद के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता पटरी पर नहीं आ रही है।
औचक निरीक्षक सहित कार्रवाई के सारे हथकंडे नाकाम साबित हो रहे हैं। हालत सुधरते न
देख बेसिक शिक्षा परिषद नये तरीके से परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता को
पटरी पर लाने की कार्ययोजना बना रहा
है। इसके तहत अब परिषदीय विद्यालय में न पढ़ाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई का
चाबुक चलाने के बजाय ‘प्रोत्साहन’ का सहारा लिया जायेगा। इसके तहत
जिलावार ऐसे शिक्षकों को चिन्हित किया जायेगा जो पूरे लगन के साथ विद्यालय में
शैक्षणिक वातावरण को तैयार कर रहे हैं और उनकी इस लगन से छात्रों लाभान्वित हो रहे
हैं। चिन्हित करने के बाद ऐसे शिक्षकों को शासन स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। यही
सम्मानित शिक्षक उन तमाम शिक्षकों के लिए प्रेरक बनने का काम करेंगे जो अपने मूल
पेशे के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। इसके पीछे बेसिक शिक्षा परिषद का तर्क है कि
कार्रवाई से सारी व्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सकता है। प्रोत्साहन के सहारे बड़े
पैमाने पर शिक्षकों के इरादों को बदला जा सकता है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय
सिन्हा कहते हैं कि इसको अंतिम रूप देने के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है। सब
कुछ ठीक रहा तो नये सत्र से यह प्रभावी हो जायेगी। वह कहते हैं कि यह योजना ज्यादा
कारगर साबित होगी। जो शिक्षक पठन-पाठन में रुचि नहीं ले रहे हैं वह भी बेहतरीन
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों से प्रेरणा लेकर अपने मूल कर्त्तव्य के प्रति जागरूक
होंगे। वह कहते हैं कि डंडा चलाना ही सारी समस्या का निदान नहीं हो सकता है। वह भी
शिक्षक जैसे सम्मानीय पेशे में। कार्ययोजना को अंजाम देने के लिए बेसिक शिक्षा
परिषद वरिष्ठ अधिकारियों के साथ- साथ प्रसिद्ध शिक्षाविदों की भी राय ले रहा है।
साभार राष्ट्रीय सहारा