Wednesday, December 11, 2013


जर्जर भवन में पढ़ने को अभिशप्त

प्रज्ञा त्रिपाठी/एसएनबी वाराणसी। स्कूलो चलो अभियान के सच की एक झलक देखनी हो तो सोनारपुरा प्राथमिक विद्यालय चले आइये। लगभग खण्डहर की शक्ल अख्तियार कर चुका सोनारपुरा प्राथमिक विद्यालय का जर्जर भवन कभी भी ढह सकता है। विद्यालय की छत इतनी जर्जर हो चुकी है कि उसे बांस बल्ली के सहारे खड़ा किया गया है। विद्यालय के खिड़की और दरवाजों की स्थिति तो कुछ ऐसी हो चुकी है कि मानो हाथ लगाते ही गिर जायेगा। कहीं किसी दिन छत गिरने से छात्रों के साथ कोई अनहोनी न हो जाये, इसलिए छात्रों को कक्ष में नहीं बल्कि बाहर बरामदे में पढ़ाया जाता है। बरामदे की स्थिति भी काफी दयनीय है, खम्भों के प्लास्टर उखड़ गये हैं और फर्श भी लगभग टूट चुका है। और तो और सुबह के समय दिन की अपेक्षा ठण्ड अधिक रहती है, ऐसे में खुले बरामदे में दरी पर बैठकर पढ़ने से बच्चों को सर्दी लग सकती है। सौ से ज्यादा हैं छात्र : खण्डहर बन चुके इस विद्यालय में 123 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। बावजूद इसके इस विद्यालय का मरम्मत नहीं किया जा रहा। विद्यालय की अध्यापिका किरन का कहना है कि कई बार सभासद व विभाग में लिखित शिकायत करने के बाद भी कोई सुनता ही नहीं। पुराने का मरम्मत नहीं नये की तैयारी : मरम्मत की जरूरत सिर्फ सोनारपुरा प्राथमिक विद्यालय को ही नहीं बल्कि बसहीं, पानदरिबा, मछोदरी, अंधरापुल स्थित चौकाघाट पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालयों सहित नगर के लगभग छह दर्जन विद्यालयों को भी है। बावजूद इसके बेसिक शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों के मरम्मत के लिए कोई कदम तो उठाया नहीं बल्कि सर्व शिक्षा अभियान के बजट में नये विद्यालयों के निर्माण का प्रस्ताव जरूर भेज दिया है। जिला समन्वयक निर्माण कार्य अभय सिंह का कहना है कि नये विद्यालयों का निर्माण कराये जाने के लिए प्रस्ताव भेजने का आदेश शासन से आया था इसलिए हमने नये विद्यालयों के निर्माण का प्रस्ताव भेजा। और रही बात विद्यालयों के मरम्मत की। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी से अनुमानित राशि का प्रस्ताव मांगा है। दहशत में नौनिहाल सोनारपुरा में है यह स्कूलक्ष्/द्रऊ