यूपी में 72,825 शिक्षकों की भर्ती संभावना को लगा ग्रहण?
ब्यूरो अमर उजाला, इलाहाबाद गुरुवार, 12 दिसंबर 2013 Updated @ 2:20 AM IST
उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा से लेकर
प्राथमिक शिक्षा में शिक्षकों के चयन की संभावना को ग्रहण लग रहा है। भर्ती आयोगों
की लचर कार्य प्रणाली एवं चयन से जुड़े पदाधिकारियों के पद खाली होने से चयन
प्रक्रिया शुरू होने की कोई संभावना नहीं है।
प्राथमिक शिक्षा विभाग में चयन को लेकर सरकार की उदासीनता एवं कोर्ट के गतिरोध के कारण चयन की कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 2011 के बाद से चयन प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ी है।
चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. देवकी नंदन शर्मा के असामयिक निधन से टीजीटी-पीजीटी के चयन की संभावना नहीं है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में जुलाई 2012 में अध्यक्ष डॉ.उदयराज गौतम के निधन और लगातार सदस्यों के कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों का चयन ठप पड़ा है।
सरकारी उदासीनता से प्राथमिक शिक्षा चौपट
परिषदीय विद्यालयों में खाली 72825 अध्यापकों के पदों को भरने के लिए सरकार ने 2011 में विज्ञापन जारी किया था। इन पदों को भरने के लिए टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती की घोषणा की गई थी। टीईटी की मेरिट से भर्ती करने के विरोध एवं शैक्षिक मेरिट से भर्ती की मांग को लेकर अभी तक भर्ती प्रक्रिया पर गतिरोध बना हुआ है। सरकार की ओर से इस बारे में उदासीनता बरतने से प्राथमिक शिक्षा चौपट हो रही है।
चयन बोर्ड फिर बेसहारा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का काम काज पिछले दो वर्र्षों से ठप पड़ा है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा पर घोटाले के आरोपों की जांच शुरू होने और उसके बाद उनकेपद से हट जाने के बाद से चयन बोर्ड का काम ठप पड़ा है।
बीती फरवरी में प्रदेश सरकार की ओर से चयन बोर्ड में डॉ. देवकीनंदन शर्मा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अभी हाल में चयन बोर्ड के अध्यक्ष की असामयिक मौत के बाद चयन बोर्ड में चयन प्रक्रिया फिर से ठप पड़ गई है। 2011 में विज्ञापित टीजीटी-पीजीटी के पदों पर परीक्षा कराने एवं प्रधानाचार्य के पदों पर निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। चयन बोर्ड में पहले से ही 10 में से छह सदस्यों के पद खाली होने चयन की संभावना नहीं बन रही।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अस्तित्व पर संकट
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष के निधन के डेढ़ वर्ष बाद भी किसी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने और सभी सदस्यों केएक-एक कर कार्यकाल खत्म होने के बाद इस समय उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों के सभी पद खाली हैं।
ऐसे में निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। जुलाई 2012 में अध्यक्ष के निधन एवं एक-एक कर कई सदस्यों के पद खाली होने से इस समय आयोग का अस्तित्व खत्म हो गया है। यहां हर महीने लाखों रूपये वेतन एवं कार्यालय के रखरखाव पर खर्च करने केबाद भी कोई चयन नहीं हो रहा है। यहां 2008 के बाद से कोई चयन नहीं हो सका है।
प्राथमिक शिक्षा विभाग में चयन को लेकर सरकार की उदासीनता एवं कोर्ट के गतिरोध के कारण चयन की कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 2011 के बाद से चयन प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ी है।
चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. देवकी नंदन शर्मा के असामयिक निधन से टीजीटी-पीजीटी के चयन की संभावना नहीं है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में जुलाई 2012 में अध्यक्ष डॉ.उदयराज गौतम के निधन और लगातार सदस्यों के कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों का चयन ठप पड़ा है।
सरकारी उदासीनता से प्राथमिक शिक्षा चौपट
परिषदीय विद्यालयों में खाली 72825 अध्यापकों के पदों को भरने के लिए सरकार ने 2011 में विज्ञापन जारी किया था। इन पदों को भरने के लिए टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती की घोषणा की गई थी। टीईटी की मेरिट से भर्ती करने के विरोध एवं शैक्षिक मेरिट से भर्ती की मांग को लेकर अभी तक भर्ती प्रक्रिया पर गतिरोध बना हुआ है। सरकार की ओर से इस बारे में उदासीनता बरतने से प्राथमिक शिक्षा चौपट हो रही है।
चयन बोर्ड फिर बेसहारा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का काम काज पिछले दो वर्र्षों से ठप पड़ा है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा पर घोटाले के आरोपों की जांच शुरू होने और उसके बाद उनकेपद से हट जाने के बाद से चयन बोर्ड का काम ठप पड़ा है।
बीती फरवरी में प्रदेश सरकार की ओर से चयन बोर्ड में डॉ. देवकीनंदन शर्मा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अभी हाल में चयन बोर्ड के अध्यक्ष की असामयिक मौत के बाद चयन बोर्ड में चयन प्रक्रिया फिर से ठप पड़ गई है। 2011 में विज्ञापित टीजीटी-पीजीटी के पदों पर परीक्षा कराने एवं प्रधानाचार्य के पदों पर निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। चयन बोर्ड में पहले से ही 10 में से छह सदस्यों के पद खाली होने चयन की संभावना नहीं बन रही।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अस्तित्व पर संकट
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष के निधन के डेढ़ वर्ष बाद भी किसी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने और सभी सदस्यों केएक-एक कर कार्यकाल खत्म होने के बाद इस समय उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों के सभी पद खाली हैं।
ऐसे में निकट भविष्य में चयन की संभावना नहीं है। जुलाई 2012 में अध्यक्ष के निधन एवं एक-एक कर कई सदस्यों के पद खाली होने से इस समय आयोग का अस्तित्व खत्म हो गया है। यहां हर महीने लाखों रूपये वेतन एवं कार्यालय के रखरखाव पर खर्च करने केबाद भी कोई चयन नहीं हो रहा है। यहां 2008 के बाद से कोई चयन नहीं हो सका है।