Tuesday, December 17, 2013


आदेश नि:शुल्क शिक्षा का, वसूल रहे बच्चों से फीस

Tue, 17 Dec 2013 02:47 AM (IST

वाराणसी :

माननीय, बेसिक शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश

महोदय,

'हम सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। कक्षा एक से आठ तक के बच्चों से फीस न लेने की बात कही जाती है लेकिन हम सभी से प्रतिमाह 100 रुपये लिए जाते हैं। इतना ही नहीं जेनरेटर फीस के रूप में भी बीस रुपये की वसूली होती है। कंप्यूटर लैब में जब हम जाते हैं तो बिजली नहीं है कहकर क्लास में भगा दिया जाता है। हम कंप्यूटर नहीं चला पाते हैं। फीस भी हम से लिया जाता है और कंप्यूटर पर बैठने भी नहीं देते। क्या यह उचित है। कृपया, हमारी आवाज सुनिए।' ------------ हम बच्चे

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इस पत्र में बच्चों ने स्कूल का नाम भी लिखा है लेकिन विद्यालय प्रशासन के भय की वजह से अपना नाम नहीं दिया है। वैसे, यह शिकायत किसी एक स्कूल तक सीमित नहीं, जिले के अधिकतर सरकारी विद्यालयों का यही हाल है। विडंबना यह है कि इसकी मानिटरिंग करने वाला कोई नहीं है। यह शिकायत प्राइवेट स्कूलों की होती तो एक बार यह कहा जाता कि इन स्कूलों को सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता। इन पर आखिर इन्हें कैसे रोका जाय पर सरकारी स्कूलों को तो सभी प्रकार की सहायता मिलती है।

जबकि नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम जिले में लागू है। संविधान में उपवर्णित राज्य की नीति के निदेशक तत्व में यह अभिकथन है कि राज्य 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा। बच्चों से फीस लेना नियमत: दंडनीय अपराध है। अब सवाल उठता है कि इसको कौन अमली जामा पहनाएगा। बच्चों की पीड़ा पर कौन मरहम लगाएगा।

साभार दैनिकजागरण