शिक्षा मित्रों को गुमराह कर रही है यूपी सरकार
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मानदेय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति
मांगने का मामला
•बृजेश सिंह
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा मित्रों
को मानदेय बढ़ाने के नाम पर गुमराह कर रही है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री बार-बार
मानदेय बढ़ाने की अनुमति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय को पत्र भेज देते हैं जबकि
सच यह है कि मानदेय बढ़ाने का फैसला खुद प्रदेश सरकार को लेना है।
उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख
शिक्षा मित्र प्राइमरी स्कूलों में तैनात हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत इन
शिक्षा मित्रों को प्रतिमाह मात्र 3500 रुपये मानदेय
दिया जाता है। मानदेय बढ़ाने की शिक्षा मित्रों की मांग पर प्रदेश के बेसिक शिक्षा
मंत्री राम गोबिन्द चौधरी पिछले डेढ़ दो साल में आधा दर्जन पत्र मानव संसाधन
मंत्रालय को भेज चुके हैं। चौधरी अपने पत्र में शिक्षा मित्रों का मानदेय पांच हजार
से बढ़ाकर 8500 रुपये मासिक करने के लिए मंत्रालय से आदेश
मांग रहे हैं।
मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से हर पत्र के जवाब
में कहा जा रहा है कि मानदेय तय करने का फैसला राज्य सरकार को ही लेना है।
केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने राम गोबिन्द चौधरी को भेजे
जवाबी पत्र में कहा है कि शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ाने के बारे में केंद्र की
कोई भूमिका नहीं है। राज्य सरकार को ही इस पर फैसला लेना है। विभिन्न राज्य इसी
आधार पर मानदेय में वृद्धि पहले ही कर चुके हैं। अखिल भारतीय अस्थाई अध्यापक संघ
के प्रवक्ता कौशल कुमार सिंह ने बताया कि वे शिक्षा मंत्री का पत्र लेकर कई बार
खुद मानव संसाधन मंत्रालय के चक्कर लगा चुके हैं। शिक्षा मित्रों की अस्थायी
शिक्षक के रूप में वर्ष 2001 में भर्ती शुरू की गई थी। बाद में
इन्हें सर्व शिक्षा अभियान में शामिल कर लिया गया। अभियान के कुल बजट का 65
फीसदी केंद्र तथा 35 फीसदी को देना होता है।
राज्यपदनाममानदेय
यूपीशिक्षा मित्र3500
हिमाचल असि. टीचर8900
राजस्थानविद्यार्थी मित्र4800
हरियाणागेस्ट टीचर14400