छात्र-छात्रओं में सेवा और अनुशासन की भावना भरने को अब मूर्तरूप देने की
तैयारी है। उच्च प्राथमिक स्कूलों यानी कक्षा छह से आठ तक में स्काउट-गाइड की
पढ़ाई हो रही है, उसे और रुचिकर बनाने
की दिशा में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उप्र ने कदम बढ़ाए हैं।
कक्षा छह से आठ तक के पाठ्यक्रम का पुनरीक्षण करने के आदेश हुए हैं, वहीं डीएलएड प्रशिक्षण में भी इसे सेमेस्टरवार जोड़ा जाना है।
गर्मी में रेलवे व बस स्टेशनों पर यात्रियों को पानी पिलाते व ट्रैफिक को
नियंत्रित करते स्काउट-गाइड के छात्र-छात्रएं दिखते हैं। यह सेवा व अनुशासन मूलरूप
से उनकी पढ़ाई का हिस्सा है,
जो उनके
जीवन में भी उतरे इसलिए ऐसी ही पढ़ाई भी उन्हें कराई जानी है। एससीईआरटी लखनऊ ने
इस पाठ्यक्रम में लर्निग आउटकम विकसित करने व स्काउट गाइड को अन्य विषयों से
जोड़ने के लिए कार्यशाला कराई गई थी। इसमें लर्निग आउटकम विकसित किए गए, साथ ही यह
भी निर्णय हुआ है कि डीएलएड प्रशिक्षण में सेमेस्टरवार इसे जोड़ा जाए। एससीईआरटी
के निदेशक संजय सिन्हा ने पाठ्यक्रम के पुनरीक्षण का जिम्मा राज्य शिक्षा संस्थान
उप्र प्रयागराज को सौंपा है। निर्देश दिया गया है कि कार्यशाला में तैयार सामग्री
का परीक्षण करके छह से आठ तक की किताबों का पुनरीक्षण किया जाए। इसकी विषयवस्तु व
अन्य गतिविधियां शिक्षक स्काउट गाइड की मूल भावना बच्चों में विकसित कर सकें।
स्काउट गाइड को अन्य विषयों से जोड़ते हुए पढ़ाने का कौशल भी शिक्षकों में विकसित
हो सके।