ग्रीष्मावकाश बाद परिषदीय विद्यालय खुलते ही 1,88,884 विद्यार्थियों को यूनिफार्म मिलने की उम्मीद जग गई है। शासन ने सभी बच्चों
को 15 जुलाई तक दो सेट यूनिफार्म उपलब्ध कराने का निर्देश है। खास बात यह है कि
एक दशक बाद इस वर्ष शासन ने प्रतिसेट यूनिफार्म की दर 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया है।
यूनिफार्म वितरण के लिए अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने दिशानिर्देश जारी
किया है। इसमें परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक तथा राजकीय विद्यालयों में कक्षा
एक से आठ तक के बच्चों को पहली से 15
जुलाई तक
डेस वितरण करने के लिए कहा गया है। वहीं स्काउट-गाइड के बच्चों को दो में से एक
सेट यूनिफार्म स्काउट-गाइड का उपलब्ध करना है।
एक लाख से अधिक पर टेंडर : बीस हजार से एक लाख तक अनुमानित व्यय होने पर
कोटेशन के माध्यम से ड्रेस खरीदने का निर्देश है। वहीं एक लाख से अधिक व्यय होने
पर टेंडर के माध्यम से ड्रेस क्रय किए जाएंगे।
जनपदीय समिति गठित: गुणवत्तायुक्त ड्रेस समय से वितरण कराने के लिए डीएम की
अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। बीएसए इसके सदस्य सचिव होंगे। वह
जनप्रनिधियों के माध्यम से डेस वितरित कराएंगे।
टास्क फोर्स करेगी गुणवत्ता की जांच : डेस की गुणवत्ता जांचने के लिए डीएम
को टास्क फोर्स गठित करने का भी निर्देश है। ड्रेस का कपड़ा खराब होने पर अभिभावक टास्क
फोर्स से शिकायत भी कर सकते हैं।
खुलेगा कंट्रोल रूम: बीएसए दफ्तर में कंट्रोल रूम भी बनाने का निर्देश है
ताकि अभिभावक दूरभाष व ई-मेल के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकें।
80
हजार बच्चे
हुए बाहर: पहले यूनिफार्म का वितरण सर्व शिक्षा अभियान से किया जाता था। केंद्र
सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान बंद कर दिया है। इसके स्थान पर समग्र शिक्षा अभियान
शुरू किया गया है। वहीं समग्र शिक्षा अभियान में अनुदानित प्राथमिक, उच्च
माध्यमिक, माध्यमिक
अनुदानित, अनुदानित
मदरसा को बाहर कर दिया है। ऐसे में इस वर्ष करीब 80 हजार बच्चे मुफ्त यूनिफार्म की दौड़ से
बाहर हो गए हैं।
जासं, वाराणसी: बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित परिषदीय विद्यालयों में छात्र
संख्या कम होती जा रही है। हालत यह है कि जनपद के 114 विद्यालयों में छात्र संख्या 50 से भी कम है। ऐसे में
विद्यालयों के प्रभारियों को नामांकन बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
परिषदीय विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए हर साल ‘स्कूल चलो
अभियान’ चलाया जाता
है। राइट- टू-एजुकेशन के तहत छह से 14
वर्ष
आयुवर्ग के बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन कराने के लिए ‘शारदा’ नामक
अभियान चलाया जा रहा है। वहीं शिक्षा के अलावा दोपहर का भोजन, पाठ्य
पुस्तकें, ड्रेस
मुफ्त देने के बावजूद छात्रसंख्या न्यून है। 2018
में 184646 बच्चे
पंजीकृत थे। वर्तमान में छात्र नामांकन घटकर 160000
पहुंच गई
है। इस प्रकार वर्तमान सत्र में करीब 24646
बच्चे कम
हो गए हैं। बीएस जय सिंह ने सभी विद्यालयों को अभियान चला कर नामांकन बढ़ाने का
निर्देश दिया है।
5936
अध्यापक
नियुक्ति : वर्तमान के परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों की कमी नहीं है। 1374 विद्यालयों
में 5936 अध्यापक
नियुक्त हैं और इनकी योग्यता में कोई कमी नहीं हैं। सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या
कम होना चिंताजनक हैं।
छात्र-शिक्षक अनुपात गड़बड़ : अध्यापकों की तैनाती को लेकर परिषदीय
विद्यालयों में छात्र-अध्यापक के अनुपात में अब भी विसंगति बनी हुई है। कुछ
विद्यालयों में 100
से कम
छात्र होने के बावजूद आठ से दस अध्यापक है। वही कुछ में महज एक या दो अध्यापक हैं।