प्रदेश भर में बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक
विद्यालयों में शिक्षक अब बिना दाढ़ी बनाए और चप्पल पहन कर नहीं आ सकेंगे। उन्हें
स्मार्ट दिखना होगा। इसके लिए कृषि उत्पादन आयुक्त एवं बेसिक शिक्षा विभाग के नए
अपर मुख्य सचिव डॉ. प्रभात कुमार ने शिक्षकों के काम के पैरामीटर तय कर दिए हैं।
सभी शिक्षकों को अब 4 आई
मानक पर खरा उतरना होगा। अगर वे मानक पर खरा नहीं उतरेंगे तो उन्हें बाहर का
रास्ता दिखा दिया जाएगा। इतना ही नहीं, इन विद्यालयों की अलग
पहचान के लिए डॉ. कुमार ने 5 बिंदु तय किए हैं।
डॉ. कुमार बृहस्पतिवार को कार्यभार ग्रहण करने के बाद बेसिक शिक्षा
विभाग के शासन से निदेशालय तक के अफसरों से परिचय बैठक में मुखातिब थे। उन्होंने
कहा कि प्राइमरी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करनी है। तो अपने को
हर स्तर पर बदलना होगा। स्कूलों का माहौल बदलना होगा तो शिक्षकों को भी हर मायने
में प्राइवेट से खुद को बेहतर साबित करना होगा। उन्होंने इसके लिए 4-आई और 5 कार्यों का फॉर्मूला
सुझाया।
उन्होंने अफसरों को शिक्षकों की ठेकेदारी प्रथा खत्म करने और शासन से स्कूल तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार स्वीकार न किए जाने की बात कही। उन्होंने 50 वर्ष पार वाले कर्मियों की स्क्रीनिंग के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन अधिकारी नहीं दे पाए। उन्होंने मिड डे मील सहित विभाग की विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों पर अलग-अलग चर्चा करने की बात कही है।
उन्होंने अफसरों को शिक्षकों की ठेकेदारी प्रथा खत्म करने और शासन से स्कूल तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार स्वीकार न किए जाने की बात कही। उन्होंने 50 वर्ष पार वाले कर्मियों की स्क्रीनिंग के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन अधिकारी नहीं दे पाए। उन्होंने मिड डे मील सहित विभाग की विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों पर अलग-अलग चर्चा करने की बात कही है।
स्कूलों की बेहतर संस्कृति को 5 बिंदुओें का फॉर्मूला
क्लीनीनेस (साफ-सफाई), पोलाइटनेस (नम्र व्यवहार), आर्डरलीनेस (सुव्यवस्था),
पंक्चुअलिटी (समय का पाबंदी) और ड्यूटीफुलनेस (कर्तव्यनिष्ठ)।
मांग जायज तो कोर्ट की जगह विभाग करे कार्यवाही
डॉ. कुमार ने कहा, विभागीय मुकदमों का स्थानीय स्तर पर परीक्षण हो और जिन मामलों में कर्मी की मांग जायज है, उस पर कोर्ट की जगह विभाग ही कार्यवाही करे। इस तरह आधे कोर्ट केस खत्म हो जाएंगे। ट्रांसफर, इंक्रीमेंट, मृतक आश्रित और पेंशन जैसे मामले विभाग स्तर पर सुलझ सकते हैं। इससे केस खत्म होगा और समय व पैसे की बचत होगी।
शिक्षकों के लिए 4 आई मानक
इंटिग्रिटी, इंडस्ट्री, इंटेलीजेंस व इंडिविजुअलिटी।
मांग जायज तो कोर्ट की जगह विभाग करे कार्यवाही
डॉ. कुमार ने कहा, विभागीय मुकदमों का स्थानीय स्तर पर परीक्षण हो और जिन मामलों में कर्मी की मांग जायज है, उस पर कोर्ट की जगह विभाग ही कार्यवाही करे। इस तरह आधे कोर्ट केस खत्म हो जाएंगे। ट्रांसफर, इंक्रीमेंट, मृतक आश्रित और पेंशन जैसे मामले विभाग स्तर पर सुलझ सकते हैं। इससे केस खत्म होगा और समय व पैसे की बचत होगी।
शिक्षकों के लिए 4 आई मानक
इंटिग्रिटी, इंडस्ट्री, इंटेलीजेंस व इंडिविजुअलिटी।
निजी व सरकारी स्कूल में अंतर कम
करने की रिपोर्ट पर होगा काम
डॉ. कुमार ने अफसरों से पूछा कि निजी विद्यालयों से सरकारी
स्कूल क्यों पिछड़े हैं? उसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। इस पर एससीईआरटी के अफसरों ने बताया कि
इस संबंध में अध्ययन कराया गया है। तब डॉ. कुमार ने कहा कि रिपोर्ट में जो सुझाव
दिए गए हैं, उस पर विचार होना चहिए। प्राइमरी स्कूलों को
प्राइवेट से बेहतर बनाने के लिए नए आइडिया लाएं।
शिक्षकों को दौड़ाने वाले अधिकारी नपेंगे
अपर मुख्य सचिव ने अफसरों को हिदायत दी है कि शिक्षकों को तनख्वाह समय से मिलनी चाहिए। मेडिकल व टीए बिल और बकाया का भुगतान समय से होना चाहिए। एसीपी लगनी है तो समय से लगे। उनकी छुट्टी समय से स्वीकृत हो। बीएसए का बाबू शिक्षक को टहला नहीं सकता। साथ ही उन्होंने चेताया, अगर शिक्षक की फाइल पैसे की वजह से रोके जाने की बात सामने आई तो खैर नहीं होगा।
शिक्षकों को दौड़ाने वाले अधिकारी नपेंगे
अपर मुख्य सचिव ने अफसरों को हिदायत दी है कि शिक्षकों को तनख्वाह समय से मिलनी चाहिए। मेडिकल व टीए बिल और बकाया का भुगतान समय से होना चाहिए। एसीपी लगनी है तो समय से लगे। उनकी छुट्टी समय से स्वीकृत हो। बीएसए का बाबू शिक्षक को टहला नहीं सकता। साथ ही उन्होंने चेताया, अगर शिक्षक की फाइल पैसे की वजह से रोके जाने की बात सामने आई तो खैर नहीं होगा।