मथुरा शिक्षक भर्ती घोटाले की आंच कौशांबी तक
पहुंच गई है। डीएम के निर्देश पर विभाग ने मथुरा से स्थानांतरण होकर आए शिक्षकों
की जांच शुरू कर दी है। इस बीच संत रविदास नगर (भदोही) जनपद के एक अधिवक्ता ने
डीएम को पत्र भेजकर बीते दो दशक में हुई शिक्षक भर्ती की समग्र जांच कराने की मांग
की है। उन्होंने कई आरोप लगाए हैं। 1मथुरा में दिसंबर 2017 में 150 लोगों को फर्जी
तरीके से शिक्षक बनाने का मामला सामने आया है। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने हाल
के वर्षों में मथुरा से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों का ब्योरा जुटाना शुरू कर
दिया है। पिछले तीन सालों में छह शिक्षक मथुरा से स्थानांतरित होकर जिले में आए
हैं, यह शिक्षक कहां तैनात हैं, इसकी पड़ताल की जा रही है। इधर संत
रविदास नगर (भदोही) के ज्ञानपुर निवासी अधिवक्ता नन्हेलाल ने डीएम को पत्र भेजकर
कौशांबी जिले में 10 से 15 लाख रुपये लेकर शिक्षा माफिया द्वारा शिक्षकों की भर्ती
कराने का आरोप लगाया है। डायट कौशांबी में तैनात एक लिपिक की संपत्ति की जांच की
मांग इस अधिवक्ता ने की है। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एक लिपिक को भी
कठघरे में लेते हुए कतिपय शिक्षा माफिया का मोबाइल नंबर अधिवक्ता ने अपनी शिकायत
में दिया है।
पकड़े जा चुके हैं फर्जी शिक्षक : कौशांबी में
फर्जी तरीके से अंक पत्र तैयार कर नौकरी दिलाने का खेल पुराना है। वर्ष 2013 में
पुलिस ने डायट परिसर के पास एक वाहन से 36 अंक पत्र बरामद किया था। जांच मंझनपुर
कोतवाली पुलिस को सौंपी गई थी, फर्जी
अंक पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले 23 शिक्षकों को यहां पकड़ा जा चुका है।