सीएम बोले- गिर रहा स्तर, जरूरी हों इम्तिहानमध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठी मांग, प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता के लिए हो आरटीई में संशोधन
लखनऊ।
मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में बदलाव की
मांग उठी। केंद्रीय गृहमंत्री की मौजूदगी में सोमवार को हुई बैठक में चार राज्यों
के मुख्यमंत्रियों ने एकसुर से कहा कि आठवीं कक्षा तक परीक्षा अनिवार्य की जाए।
मुख्यमंत्रियों की दलील है कि ऐसा न होने से प्रारंभिक शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
आरटीई के मौजूदा प्रावधानों के तहत आठवीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता।
गृहमंत्री ने उनका सुझाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
सभी राज्यों ने मॉडल स्कूलों में छात्रावासों के निर्माण की भी मांग की।
आईटीई की धारा 16 व 30 में हो संशोधन
चारों
राज्यों ने कहा कि निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 16, प्रारंभिक शिक्षा पूरी
होने तक कक्षा में रोक को प्रतिबंधित करती है। इसमें कहा गया है, ‘किसी विद्यालय में
प्रवेश प्राप्त बालक को किसी कक्षा में रोका नहीं जाएगा या विद्यालय में प्राथमिक
शिक्षा पूरी किए जाने तक निष्कासित नहीं किया जाएगा ’। वहीं धारा 30 में कहा गया है, ‘ किसी बालक से
प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा नहीं
की जाएगी। प्रत्येक बालक को जिसने प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली है, ऐसे प्रारूप और ऐसी
रीति में, जो
विहित की जाए एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा। ’ राज्यों का कहना है कि
इस धारा के चलते पिछले तीन वर्षों में बालकों की सीखने की प्रगति के परिणाम
अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे।
समाचार साभार अमरउजाला