जूनियर कक्षाओं में लटकेगा ताला!
Updated on: Fri, 29 Nov 2013 07:32 PM (IST)
कानपुर, शिक्षा
संवाददाता: अनुदानित इंटर कालेजों की जूनियर कक्षाओं में नि:शुल्क शिक्षा, यूनीफार्म
व पुस्तकों के साथ ही मध्याह्न भोजन दिए जाने के बाद भी छात्रों की संख्या लगातार
घट रही है? उधर निजी कालेजों में उक्त सुविधाएं न होते हुए
भी छात्रों की भीड़ है जबकि वहां भारी शुल्क भी लिया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण
पढ़ाई का स्तर है। अनुदानित कालेजों को यह खामियाजा नियमित पढ़ाई न करा पाने से
टूटी साख के कारण भुगतना पड़ रहा है।
जिले में कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो बीते दो
दशक में सभी बालक व बालिका विद्यालयों की जूनियर कक्षाओं की छात्र संख्या तेजी से
गिरी है। तमाम कालेजों की जूनियर कक्षाओं (कक्षा 6,7 व 8) में
एक सेक्शन भर के (अधिकतम 65) छात्र नहीं हैं जबकि कभी इनकी कक्षाओं
में तीन से चार सेक्शन होते थे। रामकृष्ण मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल जैसे कालेजों
में जहां सख्त प्रवेश परीक्षा से कक्षा 6 में प्रवेश होते थे, वहां
भी छात्र घट रहे हैं। 80 प्रतिशत से अधिक कालेजों में जूनियर कक्षाओं
पर संकट है। बालकों के मुकाबले बालिका कालेजों की स्थिति बेहतर है।
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विद्यालयों की तस्वीर
वित्तीय सहायता प्राप्त कालेज : 126
इनमें नगर निगम के कालेज : 11
रक्षा मंत्रालय के कालेज : 02
विद्युत परिषद का कालेज : 01
जूनियर पर संकट
वाले कालेज : 60
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छात्रों की राह तकते कुछ कॉलेज
कालेज जूनियर में छात्र
जीआईसी 39
मारवाड़ी कालेज 64
महात्मागांधी कालेज 30
वासुदेव मिश्र कालेज 58
हीरालाल खन्ना कालेज 42
डीएवी कालेज 22
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क्या हैं कारण
- लंबे समय तक ट्यूशनबाजी का जोर
- अवस्थापना सुविधाओं की भारी कमी
- अधिकतम छुंिट्टयां, पढ़ाई का न्यून
स्तर - जूनियर स्तर के निजी स्कूलों की बाढ़
- अभिभावकों में पब्लिक स्कूलों से मोह
- पाठ्य सहगामी क्रियाओं की अनदेखी
- बच्चों के आवागमन में बढ़ी दिक्कतें
- नि:शुल्क शिक्षा के परिषदीय स्कूल बढ़े
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छात्र संख्या में भारी फर्क
विद्यालय का प्रकार : जूनियर में छात्र
अनुदानित कालेजों में : 28,000
मान्यता प्राप्त जूनि.स्कूलों में: 1,51,802
सहायक जूनियर स्कूल में : 18,272
परिषदीय जूनियर स्कूलों में : 37,093
निजी कालेजों के मुकाबले सीखने का अनुकूल
परिवेश बनाने, कक्षाओं में पढ़ाई कराने, उसका
सतत मूल्यांकन कराने तथा अवस्थापना सुविधाओं की समुचित व्यवस्था कराने से छात्र
बढ़ेंगे।
- कृष्णमोहन त्रिपाठी, पूर्व निदेशक
माध्यमिक शिक्षा
दैनिकजागरण