शिक्षकों के हजारों पद खाली, क्या कर रही यूपी सरकार?
अखिलेश मिश्रबुधवार, 27 नवंबर 2013
अमर उजाला, इलाहाबादUpdated
@ 8:25 AM IST
संसद
में अंग्रेजी को हटाकर हिन्दी सहित क्षेत्रीय भाषाओं की पैरवी करने वाले मुलायम
सिंह यादव की पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती को लेकर उदासीन
है।
प्रदेश
में समाजवादी पार्टी की सरकार बने डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में एक भी शिक्षक
की नियुक्ति नहीं हुई है। अकेले माध्यमिक शिक्षा की बात की जाए तो हिन्दी जैसे
अनिवार्य विषय में लगभग दो हजार पद और उच्च शिक्षा में एक हजार पद खाली हैं।
प्राथमिक
विद्यालयों में लगभग पांच हजार से अधिक विद्यालयों में ताले लगे हैं और साढ़े सात
हजार स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे है। उनके छुट्टी पर होने पर विद्यालयों में पढ़ाई
नहीं होती।
माध्यमिक
विद्यालयों में तो नए सत्र के शुरू होने के पांच महीने बाद भी पढ़ाई लिखाई पटरी पर
नहीं आई है। डिग्री शिक्षकों के चयन के लिए गठित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग तो अपना
अस्तित्व ही खोता नजर आ रहा है।
प्राथमिक विद्यालयों में दो लाख पद खाली
शिक्षा
की रीढ़ कहे जाने वाले प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लगभग दो लाख पद खाली
हैं जबकि विभाग की ओर से विज्ञापित 72 हजार 825 पदों पर भर्ती होनी है। इन पदों पर
भर्ती के लिए अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियुक्ति की संभावना बन रही है।
प्रदेश
में इस समय 145255 प्राथमिक एवं 76398 उच्च प्राथमिक विद्यालय चल रहे हैं।
सभी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात ठीक नहीं है। प्राथमिक विद्यालयों की
शिक्षा पूरी तरह से शिक्षा मित्रों के भरोसे चल रही है।
आलम
यह है कि शिक्षा मित्र न पहुंचें तो हजारों स्कूलों के ताले न खुलें। प्राथमिक एवं
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान-गणित के शिक्षकों की भर्ती तो अलग होती है
परंतु दूसरे विषयों भाषा और समाज के लिए शिक्षकों की भर्ती अलग से नहीं होती है।
माध्यमिक में 25 हजार पद खाली
प्रदेश
के माध्यमिक विद्यालयों में खाली शिक्षकों के पदों को भरने के लिए गठित उत्तर
प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के विवाद के घेरे में होने के कारण पिछले
तीन वर्ष से टीजीटी-पीजीटी के पदों पर कोई चयन नहीं हो सका है।
चयन
प्रक्रिया पर रोक के कारण अब तक प्रदेश में इस समय कुल 25 हजार शिक्षकों के पद खाली है, इसमें लगभग दो हजार पद हिन्दी विषय के
हैं। 2010 के बाद से चयन बोर्ड में भर्ती
प्रक्रिया ठप होने के बाद से अब तक हिन्दी के लगभग सात सौ पद खाली हुए हैं।
इन
पदों का अधियाचन समय से नहीं भेजे जाने के कारण गतिरोध बना है। ज्यादातर
विद्यालयों में विज्ञान, गणित जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक
नहीं है। दूसरे विषयों के शिक्षक अटेंडेंस तो ले लेते हैं, पढ़ाई नहीं हो पा रही।
डिग्री कालेजों में छह साल से कोई चयन नहीं
प्रदेश
के अशासकीय डिग्री और पीजी कॉलेजों में खाली प्रवक्ता और प्राचार्य के पदों पर
पिछले छह वर्ष से कोई चयन नहीं हुआ है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में लगभग डेढ़
वर्ष से अध्यक्ष का पद खाली होने और सदस्यों केलगभग सभी पद खाली होने से प्रदेश के
डिग्री कॉलेजों में 3500 शिक्षकों के पद खाली हैं, इसमें लगभग एक हजार पद हिन्दी शिक्षकों
के हैं।
चयन
ठप होने के बाद डिग्री कॉलेजों में पिछले चार वर्ष में 600 पद हिन्दी शिक्षकों के खाली हुए हैं।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने 2010
तक 1100 पदों को भरने की घोषणा की थी, इनका चयन पूरा नहीं हो सका। इनमें शिक्षकों
के 1100 पद फंसे हैं।
इसके
साथ ही उच्च शिक्षा निदेशालय से 2011
में खाली हुए 800 से अधिक पदों पर भर्ती का अधियाचन
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भेज दिया गया है।
इन
पदों के साथ प्रदेश में हर वर्ष अवकाश ग्रहण करने वाले औसतन 600 शिक्षक भी जोड़ दिए जाएं तो कुल खाली
पदों की संख्या 3500 पार कर जाती है। इससे पहले के भी
विज्ञापन 37 और 38 को मिलाकर पांच सौ पदों का चयन अभी नहीं हो सका है।