- परिषदीय स्कूलों में विगत वर्ष की अधिकतम नामांकन देखा जाएगा
- दूसरे निर्देश में वास्तविक उपस्थित >>छात्र संख्या बनेगी आधार
परिषदीय स्कूल शिक्षकों के समायोजन का शासनादेश फिर अफसरों को परेशान कर
रहा है। वजह निर्देश स्पष्ट नहीं है। समायोजन में समिति को दो तरह की छात्र संख्या
का आकलन करना होगा। प्रभावित होने वाले शिक्षक इसे फिर कोर्ट में चुनौती दे सकते
हैं। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जिले के अंदर तबादले व समायोजन का शासनादेश हाईकोर्ट
ने रद कर दिया था। इसके बाद भी अफसरों ने नियम तय करने में सतर्कता नहीं बरती।
जिससे जिलों में स्थानांतरण समिति की ओर से अलग-अलग तरीके से समायोजन आदेश जारी हो
सकते हैं।
बेसिक शिक्षा की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा
गया है कि समायोजन में विगत वर्ष की अधिकतम नामांकन देखा जाएगा। इसी के साथ यह भी
कहा गया है कि नामांकन के सापेक्ष वास्तविक रूप से उपस्थित छात्रों की संख्या के
आधार पर समायोजन किया जाएगा। दो तरह के आदेश से भ्रम की स्थिति है। मसलन, किसी स्कूल
में विगत वर्ष का अधिकतम नामांकन 90
रहा है, उस लिहाज
से वहां तीन शिक्षक तैनात होने चाहिए। उसमें यदि वास्तविक छात्र संख्या देखी जाएगी
तो स्कूल में हर दिन छात्र संख्या 60
होती है, तब वहां दो
ही शिक्षक तैनात हो सकते हैं। ज्ञात हो कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा
अधिकार नियमावली 2011
के तहत 30 छात्रों पर
एक शिक्षक तैनात होना है। परेशानी यह है कि आखिर स्थानांतरण समिति किस आधार पर
समायोजन करे? अधिकतम
नामांकन या फिर वास्तविक छात्र संख्या पर?
वास्तविक छात्र संख्या का आधार मिडडे-मील को बनाया जा रहा है। हर दिन हर
स्कूल में कितने बच्चों ने दोपहर का खाना खाया इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन भेजी जाती है।
अमूमन हर स्कूल में नामांकित छात्रों के सापेक्ष उपस्थित छात्रों की संख्या कम
मिलती आई है। वास्तविक संख्या की रिपोर्ट बीएसए को देनी है। इतना ही नहीं समायोजन
आदेश में यह भी स्पष्ट नहीं है कि यदि किसी स्कूल में छात्र संख्या से शिक्षक अधिक
हैं तो दूसरे स्कूल में किसे भेजा जाएगा।