प्रयागराज
: बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों का एकीकरण शिक्षकों को
रास नहीं आ रहा है। शिक्षक विद्यालयों में पद खत्म करने व साथियों का सुदूर तबादला
किए जाने की आशंका में परेशान हैं। इसीलिए शासनादेश पर अमल की जगह शिक्षकों ने
कोर्ट में चुनौती दी है। हालांकि लखनऊ खंडपीठ शासन के तर्को से सहमत होकर फैसला
सुना चुका है। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट
में सुनवाई चल रही है।
प्रदेश
सरकार ने निश्शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुरूप 22
नवंबर 2018 को संलयन का आदेश जारी किया।
शासनादेश में कहा गया कि जो उच्च प्राथमिक व प्राथमिक स्कूल एक ही परिसर में
संचालित हैं, उनका संलयन होगा। इसके तहत दोनों स्कूलों में
वरिष्ठ शिक्षक ही पूरे परिसर यानी दोनों स्कूलों के संचालन के लिए जिम्मेदार होगा।
मिडडे-मील व अन्य प्रशासनिक कार्यो का दायित्व उच्च प्राथमिक विद्यालय के
प्रधानाध्यापक के हाथ रहेगा। उसका अलग कक्ष निर्माण आदि भी प्रस्तावित है। शासन ने
एकीकरण वाले स्कूलों के संचालन के संबंध में विस्तृत निर्देश दिए हैं। उसी के बाद
से शिक्षकों का एक समूह इसका विरोध कर रहा है। उसका मानना है कि इससे प्राथमिक
स्कूल में प्रधानाध्यापक व अन्य शिक्षकों के पद खत्म हो जाएंगे। जिन स्कूलों में
छात्र संख्या से अधिक शिक्षक तैनात होंगे उनका सुदूर स्कूलों में तबादला होगा।
इसके विरोध में शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।