प्रदेश सरकार ने मदरसा
आधुनिकीकरण योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है। इसमें केवल कागजों में चल रहे एक
हजार फर्जी मदरसे पकड़े गए हैं। यहां तीन हजार फर्जी शिक्षक हर साल सरकार को 45 करोड़ रुपये से अधिक का चूना
लगा रहे थे। फर्जीवाड़े का यह राजफाश मदरसा पोर्टल के कारण हुआ है।
दरअसल, प्रदेश सरकार के पास मदरसों में चल रहे फर्जीवाड़े को लेकर कई तरह की शिकायतें आईं थीं। कई मदरसे तो हाईस्कूल के समकक्ष फर्जी सर्टिफिकेट व फर्जी जन्म तिथि प्रमाण पत्र बांट रहे थे। इसी आधार पर बहुत से अशिक्षित लड़के न सिर्फ विदेश जा रहे थे बल्कि उनका शोषण भी हो रहा था। फर्जी शिक्षक व छात्रवृत्ति हजम करने का खेल भी इन मदरसों में चल रहा था।
इसी फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने मदरसा पोर्टल बनाया है। इस पोर्टल के जरिये मदरसा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार व प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाना है। पोर्टल में सभी मान्यता प्राप्त मदरसों को पंजीकृत कर उनके सभी विवरण अपलोड कराए गए हैं। इसके बाद सभी जिलों में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों द्वारा मदरसों की विस्तृत जांच कराई गई।
सबसे बड़ा घपला मदरसा आधुनिकीकरण योजना में सामने आया है। केंद्र सरकार की स्ववित्तपोषित योजना में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन जैसे आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए शिक्षकों को मानदेय मिलता है। इसमें स्नातक शिक्षकों को आठ हजार रुपये व परास्नातक एवं बीएड डिग्री धारी शिक्षक को 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है। मदरसा आधुनिकीकरण योजना की जांच में 1008 मदरसे फर्जी मिले हैं। यह मदरसे मानदेय लेने के लिए कागजों पर चल रहे थे। इसमें करीब तीन हजार शिक्षक फर्जी तरीके से मानदेय लेकर सरकारी खजाने को चपत लगा रहे थे।
दरअसल, प्रदेश सरकार के पास मदरसों में चल रहे फर्जीवाड़े को लेकर कई तरह की शिकायतें आईं थीं। कई मदरसे तो हाईस्कूल के समकक्ष फर्जी सर्टिफिकेट व फर्जी जन्म तिथि प्रमाण पत्र बांट रहे थे। इसी आधार पर बहुत से अशिक्षित लड़के न सिर्फ विदेश जा रहे थे बल्कि उनका शोषण भी हो रहा था। फर्जी शिक्षक व छात्रवृत्ति हजम करने का खेल भी इन मदरसों में चल रहा था।
इसी फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने मदरसा पोर्टल बनाया है। इस पोर्टल के जरिये मदरसा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार व प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाना है। पोर्टल में सभी मान्यता प्राप्त मदरसों को पंजीकृत कर उनके सभी विवरण अपलोड कराए गए हैं। इसके बाद सभी जिलों में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों द्वारा मदरसों की विस्तृत जांच कराई गई।
सबसे बड़ा घपला मदरसा आधुनिकीकरण योजना में सामने आया है। केंद्र सरकार की स्ववित्तपोषित योजना में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन जैसे आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए शिक्षकों को मानदेय मिलता है। इसमें स्नातक शिक्षकों को आठ हजार रुपये व परास्नातक एवं बीएड डिग्री धारी शिक्षक को 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है। मदरसा आधुनिकीकरण योजना की जांच में 1008 मदरसे फर्जी मिले हैं। यह मदरसे मानदेय लेने के लिए कागजों पर चल रहे थे। इसमें करीब तीन हजार शिक्षक फर्जी तरीके से मानदेय लेकर सरकारी खजाने को चपत लगा रहे थे।
फर्जीवाड़े के कारण दो वर्ष से
केंद्र ने नहीं दिया अनुदान : मदरसों
के फर्जीवाड़े के कारण केंद्र सरकार ने भी पिछले दो वर्षो से इस योजना में एक भी
पैसा नहीं दिया है। केंद्र सरकार ने प्रदेश से मदरसों की स्थिति सुधारने के
निर्देश दिए थे। इसी के बाद यह कदम उठाया गया है।
आधुनिकीकरण योजना में बचे 7526 मदरसे
: मदरसा
आधुनिकीकरण योजना में पहले 8534 मदरसे
शामिल थे। इसमें करीब 25 हजार
शिक्षकों को मानदेय दिया जाता था, लेकिन
मदरसा पोर्टल बनने के बाद फर्जी मदरसे सिस्टम से बाहर हो गए। अब 7526
मदरसे इस योजना में बचे हैं। शिक्षकों की संख्या भी घटकर 22
हजार रह गई है। पहले इस योजना में करीब 300
करोड़ केंद्र सरकार के व 80
करोड़ प्रदेश सरकार के खर्च होते थे,
लेकिन फर्जी शिक्षकों के हटने से अब यह रकम घटकर 265
करोड़ व राज्यांश 70 करोड़
की ही जरूरत पड़ेगी।