Saturday, April 28, 2018

स्कूल के सफर में जोखिम, खतरे में नौनिहाल


वाराणसी: कुशीनगर में मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर हुए हादसे में यह बात सामने आयी कि इसमें काफी हद तक चालक की भी लापरवाही रही। हादसे के बाद भी बहुतेरे स्कूल या फिर बच्चों के घर वाले ही इसको लेकर सचेत नहीं हुए कि उनके बच्चे कितने सुरक्षित स्कूल को जा रहे हैं। शहर में स्कूली वाहनों के साथ आटो व अन्य वाहनों में ठूस कर ले जाते भी नजर आये। स्कूल की बसों व मैजिक आदि भी हालत काफी खराब नजर आयी। स्कूल वाहनों के लिए बाकायदा नियम बनाए गए हैं, लेकिन अधिकांश वाहन इन नियमों को धता बताते दिखे। स्कूल बस तो दूर ऑटो, वैन व ई-रिक्शा में क्षमता से अधिक संख्या में बच्चे बैठे नजर आए। कोतवाली, शिवपुर, सिगरा, लहुराबीर, सोनारपुरा, लंका के पास सुबह और दोपहर कई स्कूल वाहन गुजरे। आटो की हालत यह थी कि जिसमें कायदे से तीन से चार बच्चे होने चाहिए उसमें सात से आठ तो किसी में नौ बच्चे तक भरे थे। कुल मिलकर यह कहा जा सकता है कि बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंचना किसी जोखिम से कम नहीं है। दूसरी ओर स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों का पालन कराने की जिम्मेदारी जिन्हे दी गई है वो भी अनजान बने रहे। देश में कहीं भी हादसा होने या उच्चाधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद अधिकारी अभियान चलाकर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करके अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते हैं। पुलिस अधीक्षक यातायात सुरेश चन्द्र रावत का कहना था कि हम इसको लेकर गंभीर हैं और अभियान चलाकर इस तरह के स्कूली वाहनों के चालक और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करेंगे