प्रदेश सरकार ने
भले ही महाराणा प्रताप जयंती पर सार्वजनिक अवकाश खत्म कर दिया है लेकिन, उनके जीवन को यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं अब
विस्तार से पढ़ेंगे। हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में हल्दीघाटी नामक नया पाठ जोडऩे की
तैयारी है। जून के ही अंत में ही पाठ्यचर्या समिति की बैठक बुलाकर इस पर मुहर
लगेगी और नया पाठ 2018
के पाठ्यक्रम में
शामिल होगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने पिछले माह में ही योग शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। योग कक्षा नौ से 12 तक चरणवार तरीके से पढ़ाया और सिखाया जाएगा। इसी बीच प्रदेश सरकार ने महाराणा प्रताप के जीवन से छात्र-छात्राओं को परिचित कराने का निर्देश दिया है। यूपी बोर्ड ने इस संबंध में तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। अभी हाईस्कूल व इंटर का वार्षिक परीक्षा परिणाम जारी करने में सभी अफसर लगे हैं। जून के अंत तक पाठ्यचर्या समिति की बैठक होगी। इसमें महाराणा के जीवन व हल्दीघाटी आदि चर्चित प्रसंगों में से कुछ हिस्से को हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कराने पर मुहर लगेगी।
सूबे की सरकार ने पिछले महीने महापुरुषों के नाम पर 15 सार्वजनिक अवकाश खत्म करने के समय ही यह निर्देश दिया था कि स्कूलों में महापुरुषों के नाम पर संगोष्ठी या फिर अन्य विविध आयोजन कराये जाएं, ताकि बच्चों को उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की जानकारी मिल सके। उसी दिशा में बढ़ते हुए सरकार ने महाराणा के जीवन को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया है। बोर्ड सचिव शैल यादव ने बताया कि पाठ्यचर्या समिति महाराणा के जीवन के जिस हिस्से को पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहेगी वह 2018 से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा।
महाराणा का जीवन एक नजर में
महाराणा प्रताप सिंह (9 मई 1540 व निर्वाण 19 जनवरी 1597) राजस्थान के उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। मुगलों को कई बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह व माता राणी जीवत कुंवर के घर हुआ था। 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80,000 की सेना का सामना किया।
शत्रु सेना से घिर
चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण देकर बचाया और महाराणा को
युद्ध भूमि छोडऩे के लिए बोला। शक्ति सिंह ने आपना अश्व देकर महाराणा को बचाया।
प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परंतु इसमें 17,000 लोग मारे गए। मेवाड़ जीतने के लिए अकबर ने सभी
प्रयास किये।