उत्तर प्रदेश
बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन से जगी उम्मीद, संबद्ध स्कूलों में शिक्षक भर्ती में धन
उगाही के लगते रहे हैं आरोप
पहल
’ लाखों रुपये लेकर प्रबंधक व बीएसए करते हैं मनमानी नियुक्ति
’ प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों से भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सहायता प्राप्त के साथ ही संबद्ध प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों से भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद भी जगी है क्योंकि इन स्कूलों में नियुक्ति का अधिकार चयन बोर्ड को मिल जाएगा।सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रबंधक शिक्षकों की नियुक्ति बेसिक शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेकर करते हैं जबकि एडेड हाईस्कूल या इंटर कॉलेज से संबद्ध प्राइमरी या जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती जिला विद्यालय निरीक्षक की अनुमति के बाद होती है।2012 में समाजवादी पार्टी सरकार ने शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के दो हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन विभिन्न जिलों में भर्ती के नाम पर धन उगाही के आरोप लगे क्योंकि शिक्षक भर्ती के लिए प्रशिक्षण के साथ टीईटी तो अनिवार्य है लेकिन मेरिट का कोई प्रावधान नहीं है।यानि न्यूनतम शैक्षिक अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी की नियुक्ति का अधिकार स्कूल प्रबंधक के पास है। इसी अधिकार का दुरुपयोग करते हुए प्रबंधक मोटी रकम वसूलकर मनमानी नियुक्ति कर देते हैं। बीएसए और डीआईओएस पर भी सवाल उठते रहे हैं।एडेड प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि सपा सरकार में बेसिक शिक्षा के सलाहकार रहे श्री प्रकाश राय उर्फ लल्लन राय ने धन उगाही की आशंका जताते हुए सभी बीएसए और एडी बेसिक से नियुक्ति का ब्योरा तलब कर लिया था।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के चयन के लिए बोर्ड का गठन अच्छी पहल है। इससे जो भी भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने में आती थी उसमें निश्चित रूप से कमी आएगी।-भावना शिक्षार्थी सेवानिवृत्त उपशिक्षा निदेशक
पहल
’ लाखों रुपये लेकर प्रबंधक व बीएसए करते हैं मनमानी नियुक्ति
’ प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों से भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सहायता प्राप्त के साथ ही संबद्ध प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों से भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद भी जगी है क्योंकि इन स्कूलों में नियुक्ति का अधिकार चयन बोर्ड को मिल जाएगा।सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रबंधक शिक्षकों की नियुक्ति बेसिक शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेकर करते हैं जबकि एडेड हाईस्कूल या इंटर कॉलेज से संबद्ध प्राइमरी या जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती जिला विद्यालय निरीक्षक की अनुमति के बाद होती है।2012 में समाजवादी पार्टी सरकार ने शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के दो हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन विभिन्न जिलों में भर्ती के नाम पर धन उगाही के आरोप लगे क्योंकि शिक्षक भर्ती के लिए प्रशिक्षण के साथ टीईटी तो अनिवार्य है लेकिन मेरिट का कोई प्रावधान नहीं है।यानि न्यूनतम शैक्षिक अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी की नियुक्ति का अधिकार स्कूल प्रबंधक के पास है। इसी अधिकार का दुरुपयोग करते हुए प्रबंधक मोटी रकम वसूलकर मनमानी नियुक्ति कर देते हैं। बीएसए और डीआईओएस पर भी सवाल उठते रहे हैं।एडेड प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि सपा सरकार में बेसिक शिक्षा के सलाहकार रहे श्री प्रकाश राय उर्फ लल्लन राय ने धन उगाही की आशंका जताते हुए सभी बीएसए और एडी बेसिक से नियुक्ति का ब्योरा तलब कर लिया था।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के चयन के लिए बोर्ड का गठन अच्छी पहल है। इससे जो भी भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने में आती थी उसमें निश्चित रूप से कमी आएगी।-भावना शिक्षार्थी सेवानिवृत्त उपशिक्षा निदेशक