सर्वशिक्षा अभियान का अस्तित्व
खतरे में
सर्वशिक्षा
अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद
पठन-पाठन के गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आ रहा है। ऐसे में सर्वशिक्षा अभियान पर
के अस्तित्व खतरा मंडराने लगा है। फिलहाल सर्वशिक्षा अभियान के तहत संविदा पर
कार्यरत कर्मचारियों के नवीनीकरण पर रोक लगा दी गई है।
इस आशय का एक परिपत्र गत दिनों
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भी मिला। ऐसे में मार्च 2016 के बाद सर्वशिक्षा अभियान बंद
होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार इस योजना की समीक्षा करने में
जुटी हुई है। समीक्षा के तहत ही गत दिनों सूबे के साक्षरता व वैकल्पिक शिक्षा के
निदेशक अवध नारायण शर्मा ने वाराणसी और चंदौली के कई स्कूलों का निरीक्षण किया था।
उन्होंने न केवल पठन-पाठन की गुणवत्ता जांची अपितु विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन
की पड़ताल की। निरीक्षण के दौरान उन्हें परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति
उन्हें बेहद खराब मिली। कक्षा पांच के बच्चे दो का गुणा नहीं कर सके। इतना ही
विद्यालय में साफ-सफाई, शौचालय, पेयजल की स्थिति भी संतोषजनक
नहीं मिली। बहरहाल शासन ने वरिष्ठ अधिकारियों से 15 फरवरी रिपोर्ट मांगी है। बेसिक
शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों की माने तो समीक्षा के बाद सर्वशिक्षा अभियान
के बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा। अधिकारियों का मनाना है कि यह योजना पूरी तरह
नहीं बंद हो सकती है। इसके नाम व स्वरूप में फेरबदल होने की संभावना है।